मुंबई: महाराष्ट्र में मुसलमानों को 5 फीसद रिजर्वेशन देने पर रियासत की हुकूमत एक बार फिर गौर करने की मिज़ाज में दिख रही है। मंगल के रोज़ रियासत के कानूनसाज़ कौंसिल में वक्फा ए सवालात के दौरान अक्लियतों के तरक्की के वज़ीर एकनाथ खाडसे ने कहा कि रियासत की हुकूमत अक्लियतों को उनका हक देने के लिए मजबूर है।
वज़ीर ने कहा कि, “पिछले 50 सालों तक जब कांग्रेस-नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी इक्तेदार में थी, वे अक्लियतों को रिजर्वेशन नहीं दे सके। अब जब वे अपोजिशन में बैठे हैं तो वे इस मुद्दे का फायदा ले कर अक्लियतों का ध्यान मुतवज्जा करने में जुटे हैं। हम रिजर्वेशन मुद्दे में तकनीकी पेचों को देख रहे हैं और मामला अभी ज़ेर ए गौर है।”
वक्फा ए सवालात में मामला उठाने वाले अपोजिशन के लीडर धनंजय मुंडे ने सवाल किया कि क्या हुकूमत ने इस मामले पर एडवोकेट-जनरल से सलाह लेने का भी वादा किया था। यही सवाल सुनील ततकरे, विक्रम काले, संजय दत्त, सुधीर तांबे, भाई जगताप और दूसरे लोगों ने भी पूछा। मुंडे ने कहा, “गुजश्ता साल 14 दिसंबर को आर्डिनेंस के लैप्स होने पर हुकूमत को नया आर्डिनेंस लाना चाहिए था, ऐसा क्यों नहीं किया गया।
इसके लिए एडवोकेट-जनरल की सलाह की जरूरत नहीं थी। हाईकोर्ट एडवोकेट-जनरल से ऊपर है, क्या सरकार को यह भी नहीं पता?”
खाडसे ने बताया कि पिछली सरकारी की ओर से लाया गया आर्डिनेंस हो चुका है और उनकी सरकार इस मामले में जरूरी कदम उठाएगी। खाडसे ने कहा कि मराठा और मुस्लिम रिजर्वेशन दो अलग-अलग मुद्दे हैं। खाडसे ने कहा कि, “एनसीपी फिजूल में ही मामले का सियासतबाज़ी कर रही है।
मुस्लिम मआशरा यह बखूबी जानता है कि जब एनसीपी-कांग्रेस इक्तेदार में थी तब उन्हें कोई रिजर्वेशन नहीं दिया गया।”
उधर कांग्रेस मुंबई यूनिट के चीफ संजय निरूपम ने कहा, “रिजर्वेशन सिर्फ मुस्लिम मआशरे के पिछड़े तब्के के लिए था और यह मज़हब पर मुंहसिर नहीं था। यह सरकार एंटी-मुस्लिम सोच रखती है।”