हैदराबाद 21 जुलाई: मुसलमानों की तरक़्क़ी और मुस्लिम रिजर्वेशन की राह में असल रुकावट कोई और नहीं बल्के ख़ुद मुस्लिम अवामी नुमाइंदे हैं जिन्हें मुसलमानों के मुआमलात से सिर्फ ज़बानी हमदर्दी है और जब हुकूमत के मीटिंगस में इज़हार-ए-ख़याल का मौक़ा आता है तो वहां उनकी ज़बानें बंद होजाती हैं। चीफ़ मिनिस्टर के चन्द्रशेखर राव ने असेंबली और कौंसिल में एक से ज़ाइद मर्तबा मुस्लिम रिजर्वेशन पर अमल आवरी के अपने अह्द का इआदा किया लेकिन जब एवान की कमेटी की मीटिंग हुवी तो मुस्लिम अरकान इस मसले पर हुकूमत को सिफ़ारिशात पेश करने की भी हिम्मत ना करसके। असेंबली और कौंसिल की कमेटी के क़ियाम का मक़सद ही यही होता है कि वो उन्हें तफ़वीज़ करदा मसले पर हुकूमत को सिफ़ारिशात पेश करे। अक़लियती बहबूद कमेटी के क़ियाम का मक़सद सिर्फ अक़ललियती स्कीमात पर अमल आवरी का जायज़ा लेना नहीं है बल्के उसे मुसलमानों की पसमांदगी की वजूहात पर अलाहिदा रिपोर्ट पेश करनी चाहीए। अक़लियती बहबूद कमेटी के क़ियाम के बाद से मुसलमानों में उम्मीद जागी थी कि ये कमेटी उनके साथ इन्साफ़ करेगी।
मुस्लमान तवक़्क़ो कर रहे थे कि कमेटी के सदर नशीन के अलावा 4 मुस्लिम अरकान मुस्लिम रिजर्वेशन के मसले पर ना सिर्फ मुत्तफ़िक़ा क़रारदाद मंज़ूर करेंगे बल्के हुकूमत को बीसी कमीशन के क़ियाम की सिफ़ारिश की जाएगी लेकिन मुस्लिम नुमाइंदों ने अपनी मुजरिमाना ख़ामोशी के ज़रीये मुसलमानों को मायूस कर दिया है। मुसलमानों के लिए रिजर्वेशन से बढ़कर कोई और अहम मसला नहीं है और सिर्फ इस मसले की यकसूई और वादे पर अमल आवरी के ज़रीये तमाम दुसरे मसाइल का हल तलाश किया जा सकता है लेकिन अफ़सोस मुस्लिम नुमाइंदों को अवाम के बीच रिजर्वेशन की याद सताती है लेकिन जहां उन्हें कहना है , वहां वो मस्लहतों और दबाओ का शिकार होजाते हैं। एवान की कमेटी में कोई भी मुख़ालिफ़ रिजर्वेशन रुकन मौजूद नहीं, उस के बावजूद मीटिंग में इस मसले पर मबाहिस की किसी ने पहल नहीं की। बताया जाता है कि टीआरएस के रुकन मुहम्मद सलीम ने मीटिंग के आग़ाज़ पर इस मसले को मौज़ू बेहस बनाने की कोशिश की लेकिन उन्हें किसी दूसरे रुकन की ताईद हासिल नहीं हुई।
बताया जाता है कि मुक़ामी जमात के फ़्लोर लीडर की तरफ से मुस्लिम अरकान को पाबंद किया गया था कि वो मुस्लिम रिजर्वेशन के मसले को उठाने से गुरेज़ करें। मुहम्मद सलीम ने जब ये मसला उठाया, उस वक़्त फ़्लोर लीडर मीटिंग में हाज़िर नहीं थे, उस के बावजूद दुसरे अरकान पर उनका इस क़दर दबाओ था कि किसी ने इस मसले की ताईद नहीं की और ये कह कर टाल दिया गया कि सुधीर कमीशन की रिपोर्ट के लिए तीन माह का वक़्त बाक़ी है , इस के बाद कमेटी में मबाहिस मुम्किन है।
इस तरह मुस्लिम रिजर्वेशन के मसले को टाल दिया गया। सवाल ये पैदा होता है कि टीआरएस के मुस्लिम अरकान मुक़न्निना पर आख़िर किस का कंट्रोल है ? वो हुकूमत के एजंडे पर अमल आवरी के पाबंद हैं या फिर वो हलीफ़ जमात के इशारों पर काम करते हैं। अगर उन्हें अपनी जमात से ज़्यादा दूसरी जमात से हमदर्दी और मुहब्बत है तो फिर अवाम की राय के मुताबिक़ उन्हें टीआरएस छोड़कर अपनी पसंदीदा पार्टी में शमूलीयत इख़तियार कर लेनी चाहीए। एक पार्टी में रह कर दूसरी पार्टी के इशारों पर काम करना अपनी पार्टी से बग़ावत और धोका दही के बराबर है। बताया जाता है कि मुक़ामी जमात के फ़्लोर लीडर ने ये कहते हुए मुस्लिम अरकान को रिजर्वेशन के मसले को छेड़ने से रोक दिया कि अख़बार सियासत का एजंडा है। उनका ये भी कहना था कि रिजर्वेशन के मसले पर वो हुकूमत से तसादुम नहीं चाहते।
फ़्लोर लीडर के इशारें पर काम करने वाले मुस्लिम अरकान को शायद ये पता नहीं कि मुस्लिम रिजर्वेशन दरहक़ीक़त टीआरएस और केसीआर का एजंडा है, जिसका उन्होंने इंततेख़ाबात से पहले वादा किया था। रोज़नामा सियासत सिर्फ इस वादे की तकमील और मुसलमानों के मुफ़ाद में तहरीक चला रहा है ताकि हुकूमत जल्द से जल्द वादे की तकमील के इक़दामात करे। जहां तक हुकूमत से तसादुम से गुरेज़ का मुआमला है, फ़्लोर लीडर के इस मुबय्यना ख़्यालात ने रिजर्वेशन के मसले पर उनकी पार्टी को बे-नक़ाब कर दिया। एसा महसूस होता है कि मुक़ामी जमात इस मसले को फ़रामोश करते हुए हुकूमत को रिजर्वेशन पर अमल आवरी से रोकना चाहती है और मसले को टालने में हुकूमत से तआवुन कर रही है। ये वही जमात है जिसने डॉ वाई एस राज शेखर रेड्डी हुकूमत की तरफ से मुसलमानों को चार फ़ीसद रिजर्वेशन की फ़राहमी की मुख़ालिफ़ की थी जिसकी वीडीयो रिकार्डिंग आज भी अवाम के बीच मौजूद है। टीआरएस के रुकन कौंसिल मुहम्मद सलीम ने अगरचे इस मसले को उठाने की कोशिश की लेकिन होना ये चाहीए कि वो बहैसीयत रुकन एक क़रारदाद पेश करते और दुसरे अरकान की मंज़ूरी हासिल करते। उन्होंने बीसी कमीशन के क़ियाम के लिए हुकूमत से सिफ़ारिश की भी वकालत की। बताया जाता है कि मीटिंग को एजंडे पर मबाहिस तक महदूद कर दिया गया था। कमेटी के सदर नशीन आमिर शकील का कहना है कि एवान की कमेटी क़रारदाद मंज़ूर नहीं कर सकती। इस मीटिंग में आमिर शकील के अलावा मुहम्मद सलीम, फ़ारूक़ हुसैन , अकबर ओवैसी, अलताफ़ रज़वी, विनए भास्कर ने शिरकत की।