हैदराबाद ! आंधरा प्रदेश हाइकोर्ट की डीवीझ़न बंच जो चीफ़ जस्टिस मुदुन बी लोकोर और जस्टिस पी वे संजय कुमार को शामिल है पैर के दिन उन दरख़ास्तों पर अपना फ़ैसला सुनाएगी जिन में मुस्लमानों के साथ साथ दुसरे नोटीफ़ाईड अक़ल्लीयतों(अल्पसंख्यको) को चार आशारीया पाँच फ़ीसद रिजर्वेशन देने का फ़ैसला किया गया है।
मर्कज़ ने अक़ल्लीयतों को ये तहफ़्फुज़ात दुसरे बिछ्डे तबक़ात के लिए खास 27 फ़ीसद रिजर्वेशन में से देने का फ़ैसला किया है पसमांदा तबक़ात की भलाई की अंजुमन के सदर आर कुर्षणा और दूसरों ने ज़ेली कोटा के ख़िलाफ़ ये दरख़ास्तें पेश की हैं।
मर्कज़ ने अपने जवाबी हलफनामे में कहा है कि अक़ल्लीयतों से ताल्लुक़ रखने वाले दीगर पसमांदा तबक़ात की ज़ेली ज़मुरा बंदी दूसरे पसमांदा तबक़ात के वसी ज़मुरा में ज़ात पात ओर-तबक़ात में तहफ़्फुज़ात के फ़वाइद की ज़्यादा मुंसिफ़ाना तक़सीम के लिए है बंच ने अप्रैल 2012 में अपना फ़ैसला महफ़ूज़ किया था।
जस्टिस लोकोर सुप्रीम कोर्ट जज की हैसियत से ज़िम्मेदारी सँभालने से पहले रिजर्वेशन से मुताल्लिक़ फ़ैसला सुनाने के चाहक हैं।