हैदराबाद 29 अप्रैल: एडीटर सियासत जनाब ज़ाहिद अली ख़ान ने आज कहा कि मुसलमानों को रिजर्वेशन पर अमलावरी और अक़लीयतों से मुताल्लिक़ हुकूमत की पॉलीसी-ओ-प्रोग्रामों को यक़ीनी बनाने एक निगरान कार कमेटी का क़ियाम ज़रुरी है।
अक़लीयतों से मुताल्लिक़ मुख़्तलिफ़ कमीशनों और कमेटियों की सिफ़ारिशात पर भी अमलावरी में हुकूमतें कोताही का मुज़ाहरा किया है।
अक़लीयतों को भी अपने हुक़ूक़ के लिए जद्द-ओ-जहद करनी चाहीए। जनाब ज़ाहिद अली ख़ान आज यहां स्टेट बैंक आफ़ हैदराबाद माइनॉरिटीज वेल्फ़ेर एसोसीएशन की जनरल बॉडी मीटिंग से ख़िताब कररहे थे।
उन्होंने कहा कि राज शेखर रेड्डी हुकूमत ने मुसलमानों को मुलाज़मतों और तालीम में 4% रिजर्वेशन फ़राहम किया जिस पर अमल आवरी को यक़िनी बनाना जहां हुकूमत की ज़िम्मेदारी है वहीं मुसलमानों के दानिश्वरों प्रभी ये ज़िम्मेदारी होति है कि वो इसकी निगरानी करे।
उन्होंने कहा कि अगरचे हुकूमत ने बेहतारिन तारिके से मुसलमानों को रिजर्वेशन फ़राहम किए हैं मगर बाअज़ मह्कमाजात में तक़र्रुत के दौरान रिजर्वेशन की पॉलीसी को नज़र अंदाज किया जा रहा है।
उन्हों ने बताया कि ये भी एक हक़ीक़त है कि बाअज़ मह्कमाजात में तक़र्रत में अक़लीयतों को महरूम किया जा रहा है। न्यूकलीयर फ्यूल कॉम्प्लेक्स में हाल ही में किए गए तक़र्रत में अक़लीयतों से ताल्लुक़ रखने वाले एक भी उम्मीदवार को चुन नहीं गया।
उन्हों ने कहा कि हमें अपने हुक़ूक़ के हुसूल के लिए जद्द-ओ-जहद करने की ज़रूरत है। जनाब ज़ाहिद अली ख़ान ने कहा कि सरकारी इदारों में काम करने वाले अकलेती तबक़ा के ओहदेदारों और मुलाज़मीन को जहां अपने हुक़ूक़ के लिए जद्द-ओ-जहद करनी चाहीए वहीं उन्हें अपने बिरादरी को जायज़ और क़ानूनी तौर पर फ़ायदा पहुंचाने अपना रोल अदा करना चाहीए।
उन्हों ने कहा कि हर बैंक में अकलेती मुलाज़मीन-ओ-ओहदेदारों की एक अंजुमन होनी चाहीए और सरकारी तौर पर उन को तस्लीम किया जाना चाहीए।
जनाब ज़ाहिद अली ख़ान ने कहा कि तलबा को स्कालरशिपस की फ़राहमी में बैंकों का एहम रोल होता है। बैंकों में खाते खोलना तलबा के लिए एक कठिन मसला बन गया है।
उन्हों ने बैंक के अकलेती ओहदेदारों और मुलाज़मीन पर ज़ोर दिया कि वो तलबा को स्कालरशिपस के हुसूल में तआवुन करें।
उन्हों ने बैंक के रिटायर्ड होने वाले ओहदेदारों और मुलाज़मीन से ख़ाहिश की के वो इदारा सियासत के तहत चलाए जाने वाले माइनॉरिटीज डेवलपमंट फ़ोर्म से वाबस्तगी इख़तियार करते हुए अपनी सलाहियतें क़ौम के लिए वक़्फ़ करें।
जनाब ज़ाहिद अली ख़ान ने कहा कि अक़लीयतों की तरक़्क़ी-ओ-बहबूद के लिए अगरचे हुकूमतें कमीशन और कमेटियां क़ायम करती हैं मगर उन की सिफ़ारिशात को नज़र अंदाज़ करदिया जाता है।
उन्हों ने कह कि रंगनाथ मिश्रा कमीशन और सच्चर कमेटी की सिफ़ारिशात पर अगर 10% भी दिया जाता तो अक़लीयतों को बहुत बड़ा फ़ायदा पहुंचता।
इसी तरह उर्दू की तरक़्क़ी से मुताल्लिक़ गुजराल कमेटी की सिफ़ारिशात को भी फ़रामोश करदिया गया। रुकन क़ानूनसाज़ कौंसिल-ओ-साबिक़ रियासती वज़ीर मुहम्मद अली शब्बीर ने कहा कि आंध प्रदेश को अक़लीयतों की बहबूद में सारे मुल्क में पहल करने और सबक़त हासिल करने का एक अछ मुकम हासिल है।
आंध प्रदेश मुल्क की पहली रियासत थी जहां महिकमा अकलेती बहबूद का क़ियाम अमल में आया और उन्हें पहले वज़ीर अकलियती बहबूद के ओहदे पर फ़ाइज़ होने का एज़ाज़ हासिल रहा है।