उत्तर प्रदेश में इंतेख़ाबी नताइज ने कई सयासी जमातों की आंखें खोल दी हैं। इंतेख़ाबात से क़ब्ल जो मंज़र था वो इंतेख़ाबी नताइज सामने आने के बाद यकसर तब्दील होकर रह गया है । यहां कांग्रेस की ज़बरदस्त इंतेख़ाबी मुहिम और राहुल गांधी की काविशों को बुरी तरह नाकामी का मुंह देखना पड़ा और इसकी तवक़्क़ुआत कहीं से भी पूरी नहीं हुईं।
पार्टी के नताइज उस की तवक़्क़ुआत के बिलकुल बरअक्स सामने आये हैं। इसके अलावा ख़ुद बहुजन समाज पार्टी को जिस तरह की शिकस्त का सामना करना पड़ा है वो भी सब को हैरतज़दा करने के लिए काफ़ी है । बी एस पी की सरबराह मायावती ने अपनी शिकस्त के एक दिन बाद ये एतराफ़ किया कि रियासत में मुस्लमान राय दहिंदों ने उनकी पार्टी का साथ नहीं दिया उसकी वजह से उसे शिकस्त हुई है ।
ख़ुद कांग्रेस को भी मुस्लमानों के वोट नहीं मिले यही वजह है कि कांग्रेस पार्टी भी अपनी तवक़्क़ुआत के मुताबिक़ मुज़ाहरा नहीं कर पाई । बी जे पी का जहां तक सवाल है इस को मुस्लमानों के वोट मिलने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता । इसेमें सिर्फ समाजवादी पार्टी थी जो मुस्लमानों के वोटों को हासिल करने में कामयाब हुई और मुस्लिम वोटों ने ही समाजवादी पार्टी को लखनऊ में इक़्तेदार की कुर्सी अता कर दी है ।
इंतेख़ाबी नताइज सामने आने के बाद से उन नताइज पर तरह तरह के तबसिरे और तजज़ए शुरू हो गए हैं लेकिन सब में एक बात मुश्तर्क सामने आई है और वो ये कि उत्तर प्रदेश के मुस्लिम राय दहिंदों ने जिस सयासी शऊर और इत्तेहाद का मुज़ाहरा किया है वो काबिल ए तारीफ है और यही इत्तेहाद और शऊर अगर सारे मुल्क के मुस्लमान अपना लें और इसी तरीका को इख्तेयार करें तो जिस तरह उत्तर प्रदेश की असेबली में 17 फीसद से ज़्यादा मुस्लिम अरकान मुंतखिब हो कर आए हैं इसी तरह मुल़्क की पार्लीमेंट में भी मुस्लिम अरकान की तादाद में इज़ाफ़ा में मदद मिल सकती है ।
जहां तक उत्तर प्रदेश का सवाल है वहां के मुस्लमानों ने हर हलक़ा की एक हिक्मत-ए-अमली के तहत राय दही की है और मुस्लिम उम्मीदवारों की कामयाबी को यक़ीनी बनाने में कलीदी रोल अदा किया है । यही वजह है कि यहां 71 मुस्लिम अरकान मुंतखिब हुए हैं और रियासत में मुस्लमानों को दरपेश मसाइल पर अगर ये अरकान मुत्तहिद होकर इवान में भी काम करें तो फिर मुस्लमानों की हुक़ूक़ की पासदारी और उन का जायज़ मुक़ाम उन्हें दिलाने से कोई ताक़त नहीं रोक पायेगी और सयासी जमाअतें भी मुस्लमानों के इस इत्तेहाद के सामने बेबस नज़र आयेंगी और ना चाहते हुए भी वो मुस्लमानों के जायज़ हुक़ूक़ उन्हें देने पर मजबूर हो जायेंगी ।
उत्तर प्रदेश के राय दहिंदों ने अपने सयासी शऊर और मिल्लत के मुफ़ादात को जिस तरह अज़ीज़ रखते हुए दीगर फिरवी इख्तेलाफ़ात को बालाए ताक़ रख कर अपने वोट का इस्तेमाल किया है वो सारे हिंदूस्तान के लिए एक मिसाल बन गया है । मुल़्क की कई रियासतें इसी हैं जहां मुस्लमान बादशाह गिर का मौक़िफ़ रखते हैं और पार्लीमेंट के लिए तो सारे मुल्क में ऐसे कई हलक़े हैं जहां से मुस्लमान मुत्तहदा राय दही के ज़रीया अपने नुमाइंदों को इवान के लिए मुंतखिब कर सकते हैं।
अब तक मुल़्क की तमाम ही सयासी जमाअतें मुस्लिम राय दहिंदों का इस्तेहसाल करती आई हैं और उन्हें महिज़ वोट बैंक के तौर पर इस्तेमाल किया गया है । अब राय दहिंदों ने ये तास्सुर दिया है कि सयासी जमातों की जानिब से हथेली में जन्नत दिखाए जाने से वो मुतास्सिर होने वाले नहीं हैं और महिज़ ज़बानी वादों पर उन्हें टाला नहीं जा सकता ।
मुस्लमान अब अपना जायज़ और दस्तूरी-ओ-क़ानूनी हक़ हासिल करने के लिए एक जुट होकर अपनी सब से बड़ी ताक़त को इस्तेमाल करने के लिए बेदार हो चुका है और यही बेदारी एक ऐसा हथियार है जिसे इस्तेमाल करते हुए उत्तर प्रदेश की तरह सारे मुल्क में मुस्लमान अपने जायज़ हुक़ूक़ और इख़्तेयारात हासिल कर सकते हैं।
इससे क़ब्ल शोरिश ज़दा समझी जाने वाली रियासत आसाम के मुस्लमानों ने अपने शऊर का सबूत देते हुए मिसाल पेश की थी और अब इस को मज़ीद आगे बढ़ाने का काम उत्तर प्रदेश के राय दहिंदों ने किया है । इसी मिसाल को सारे मुल्क में इख्तेयार किया जाये तो फिर कोई अजब नहीं कि हिंदूस्तान भर में भी मुस्लमान अरकान पार्लीमेंट की एक ख़ातिरख्वाह तादाद मुंतखिब हो और सयासी जमाअतें उन्हें जगह देने पर मजबूर हो जाएं ।
उत्तरप्रदेश के नताइज ने और मुस्लमानों के सयासी शऊर ने जो राह सारे हिंदूस्तान के मुस्लमानों को दिखाई है इसी में इनकी सयासी कामयाबी मुज़म्मिर है और समाजी मआशी और तालीमी पसमांदगी को दूर करना अगर मक़सूद है तो फिर मुस्लमानों को इसी हिक्मत-ए-अमली को इख्तेयार करना होगा ।
जिस तरह यूपी के राय दहिंदों ने मुत्तहिद होकर अपने वोट का इस्तेमाल किया है इसी तरह अब उत्तर प्रदेश के मुस्लिम अरकान असेंबली की ज़िम्मेदारी बनती है कि वो भी इवान में और इवान के बाहर अपने इतेहाद का मुज़ाहरा करें और मुस्लमानों को उनके जायज़-ओ-दस्तूरी हुक़ूक़ दिलाने में सयासी ख़ुतूत को बालाए ताक़ रखते हुए जद्द-ओ-जहद करके एक मिसाल पेश करें।
अगर ये मुंतखिब अरकान असैंबली अपनी ज़िम्मेदारियां पूरी करने में कामयाब हो जाएं तो फिर मुस्लमानों की हालत-ए-ज़ार को सुधारने के लिए हुकूमतों के रहमोकरम पर इन्हेसार करने की ज़रूरत पेश नहीं आएगी और हुकूमतें ख़ुद मुस्लमानों को उनके जायज़ हुक़ूक़ देने पर मजबूर हो जायेगी ।
जो पयाम उत्तर प्रदेश से मिला है उसे ज़ाय होने से बचाने के लिए ख़ुद यू पी के मुंतखिब अरकान का अमल ज़िम्मेदार होगा और इस अमल की बुनियाद पर सारे हिंदूस्तान के मुस्लमानों को एक नई राह दिखाई जा सकती है ।