मुस्लिम शौहर की दूसरी बीवी को पेंशन का हक

मुस्लिम शौहर की दूसरी बीवी भी अब शौहर की पेंशन में आधे की हकदार होगी। पटना हाईकोर्ट ने अपने एक अहम फैसले में कहा कि मुस्लिम सरकारी मुलाज़िम की दो बीवियों के दरमियान आधी-आधी पेंशन रकम बंटेगी। नजदा खातून की अर्जी पर सुनवाई के बाद जस्टिस अजय कुमार त्रिपाठी की एकलपीठ ने यह फैसला दिया। अदालत को बताया गया कि दरख्वास्त दिहिंदगान के शौहर ने दो शादी की थी।

दोनों से बच्चे भी हैं। शौहर की मौत के बाद दोनों बीवियों के दरमियान पैसे को लेकर तनाज़ा है। पहली बीवी ने दूसरी बीवी को किसी तरह का हक देने से साफ इनकार कर दिया। यहां तक कि पेंशन रकम का आधा हिस्सा देने से भी मना कर दिया, जबकि दूसरी बीवी को मुस्लिम कानून के मुताबिक मंजूरी हासिल है। कानून के तहत उसे तमाम हक़ हासिल हैं, जिसे रियासती हुकूमत भी मानती है। वहीं, पहली बीवी की तरफ से अदालत को बताया गया कि सरकारी मुलाज़िम दूसरी शादी नहीं कर सकते।

दूसरी बीवी को कानून के तहत किसी क़िस्म की मंजूरी हासिल नहीं हैं । दूसरी बीवी पेंशन समेत जायदाद में हिस्सा पाने की हकदार नहीं है। हाईकोर्ट की तरफ से जारी फैसला का हवाला देते हुए कहा कि अदालत ने दूसरी बीवी को किसी क़िस्म की राहत नहीं दी है। अदालत ने दोनों फरीकों समेत हुकूमत का हक़ सुनने के बाद कहा कि हुकूमत ने अपनी साबिक़ की नोटिफिकेशन में तरमीम कर दी है। इसके तहत मुस्लिम तबके की दूसरी बीवी को पेंशन में आधा हिस्सा देने का फैसला लिया है, लेकिन इस नोटिफिकेशन को किसी ने भी अदालत के सामने पेश नहीं किया।

अदालत ने कहा कि सरकारी हुक्म के तहत मुस्लिम तबके की दूसरी बीवी पेंशन की हकदार है। अदालत ने पहली बीवी की तरफ से पेश हर दलील को नामंजूर करते हुए महालेखाकार को नए सिरे से पीपीओ जारी करने की हुक्म दिया, जिसमें दोनों बीवियों की पेंशन की आधी-आधी रकम रहे।