मुस्लिम संगठनों ने समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के गठबंधन को अवसरवादी बताते हुए मुसलामानों से अपील की है कि वे बिना किसी दबाव के इस चुनाव में अपने मताधिकार का प्रयोग करें। विभिन्न मुस्लिम संगठनों की ओर से बनाये गए मुत्ताहिदा मिल्ली मजलिस ने मुज़्ज़फ़्फ़ऱनगर दंगों समेत कई सवाल मुख्यमंत्री अखिलेश के समक्ष रखे है।
मुख्यमंत्री के समक्ष रखे गए कुल 12 सवाल हैं जिनमें अखिलेश के मुख्यमंत्रित्व काल में हुए साम्प्रदायिक दंगों से शुरुआत की गई है तथा उनसे पूछा गया है कि उन्होंने इस संबंध में क्या कदम उठाये। दूसरा सवाल दंगा पीड़ित मुसलामानों को नाइंसाफी को लेकर किया गया है। संगठन ने समाजवादी पार्टी की ओर से वर्ष 2012 के चुनाव के दौरान घोषणापत्र में किये गए 14 वादों के सम्बन्ध याद दिलाया है जिसमें अभी तक एक भी पूर्ण नहीं हुआ है।
संगठन ने कहा है कि सच्चर कमेटी और रंगनाथ मिश्र आयोग की सिफारिशों को लागू नहीं किया गया है। मुसलमानों के लिए 18.5 प्रतिशत आरक्षण सुनिशिचत करने का वादा अधूरा ही है। मुस्लिम समुदाय को पुलिस बल में भर्ती के नाम पर उल्लू बनाया गया है। जेलों में बंद निर्दोष मुसलमानों को कोई मुआवजा नहीं दिया गया है और न ही उन्हें रिहा करने के लिए कोई कदम उठाया गया है। मुस्लिम इलाकों में प्रशिक्षण केंद्र और उर्दू माध्यम स्कूल स्थापित नहीं किये गए हैं। वक्फ की जमीन को अतिक्रमण से मुक्त नहीं कराया गया है।
मुत्ताहिदा मिल्ली मजलिस ने सवाल उठाया है कि समाजवादी पार्टी की ओर से 2012 के चुनाव के दौरान किये गए वादे आज तक पूरे नहीं हुए हैं तो फिर कैसे सपा – कांग्रेस के गठबंधन पर भरोसा किया जा सकता है। संगठन ने मुसलामानों से अपील की है कि वो अपना मत डालने से पहले दो बार सोचें कि मुलायम सिंह यादव ने अखिलेश को मुस्लिम विरोधी कहा था।
सपा – कांग्रेस के गठबंधन की घोषणा के पश्चात कई शिया-सुन्नी आलिमों ने इस गठबंधन का विरोध किया था। प्रख्यात शिया मौलाना कल्बे जव्वाद पहले आलिम थे जिन्होंने इस गठजोड़ का विरोध किया था। उन्होंने यूपी को यह साथ पसंद है, नारे को खारिज़ कर दिया तथा कहा कि अखिलेश के नेतृत्व वाली समाजवादी सरकार मुस्लिमों के विकास में विफल रही है।