अस्सलाम ओ आलेकुम,
आज हम सिआसत हिंदी पर बात करेंगे एक ऐसे साइंटिस्ट के बारे में जिसे कोपर्निकस भी याद किया करते थे. अल-बिरूनी से लेकर केप्लर और गलीलियो भी उनकी बातें बताया करता थे. अबू अल-बत्तानी जिनकी पैदाइश उर्फ़ा के पास हर्रान नाम की जगह पर तक़रीबन सन 858 में हुई. अल-बत्तानी ने त्रिकोणमिति को जो दिया है उसके बिना त्रिकोणमिति के बारे में सोचना भी मुश्किल है. अपनी ज़्यादातर ज़िन्दगी रक़्क़ा में बिताने वाले अल-बिरूनी ने प्तोलेमी को जहां प्रभावी ढंग से पढ़ा वहीँ उनकी ग़लतियाँ भी दूर कीं. अल-बत्तानी की किताब किताब-अज़-ज़िज का तर्जुमा लगभग हर बड़ी ज़बान में किया जा चुका है.
अगर हम इस बारे में बात करें कि कोपेर्निकास बत्तानी से कितने ज़्यादा प्रभावित थे तो ये बात बतानी बहुत ज़ुरूरी है कि कोपेर्निकास ने अपनी किताब “डे रेवोलुशनिबस ओर्बियम कोएलेसटियम” (कोपेर्निकन रेवोलुशन) में उनका ज़िक्र 23 बार किया है.
बत्तानी ने प्तोलेमी की कई ग़लतियों को दूर किया. अल बत्तानी ने सौर-वर्ष (सोलर इयर) का लगभग सही हिसाब लगाया, उन्होंने बताया कि एक साल 365 दिन पांच घंटे, 46 मिनट और 24 सेकंड्स का होता है जो कि सही सौर-वर्ष से सिर्फ 2 मिनट 22 सेकंड से ग़लत है. उनके कुछ मेज़रमेंट इस क़दर दुरुस्त थे कि कई शताब्दियों के बाद भी वो कोपेर्निकस के मेज़रमेंट से सही थे. आज भी बत्तानी के डाटा को जियो-फिजिक्स में इस्तेमाल किया जाता है.
बत्तानी ने कई सारे त्रिकोणमिति-सम्बन्ध की खोज की. जिनमें tanA=sinA/cosA से लेकर secA और tanA के बीच में सम्बन्ध भी शामिल है. माना जाता है कि जो बत्तानी ने मैथमेटिक्स के लिए किया है उसके बिना मैथ के बारे में सोचना भी मुश्किल है. प्तोलेमी ने जहां जियोमेट्रिकल मेथड का इस्तेमाल किया था, बत्तानी ने ट्रीगोनोमेट्रिकल मेथड का इस्तेमाल किया जो अपने आप में एक नयी चीज़ थी
b sin(A) = a sin(90° – A).
बत्तानी की ज़ाती ज़िन्दगी के बारे में ज़्यादा मालूमात नहीं हो पायी है.उनका इन्तेक़ाल समर्रा के नज़दीक क़स्र अल-जिज़ में तक़रीबन 929 में हुआ.