मुस्लिम साइंटिस्ट इब्न-सीना जिसने लिखीं 450 किताबें..

अस्सलाम ओ आलेकुम,

सिआसत आज आपको बताएगा उस साइंटिस्ट के बारे में जो अपने ज़माने के सबसे मशहूर और किसी भी ज़माने के सबसे बड़े “थिंकर्स” में से एक माना जाता है. इनका नाम है इब्न-सीना, जिन्हें अंग्रेज़ी में अविसन्ना के नाम से जाना जाता है.

अविसन्ना की पैदाइश सन 984 में बुख़ारा,ईरान(अब उज़्बेकिस्तान) में हुई, दस साल की छोटी उम्र में ही वो हाफ़िज़-ए-क़ुरान हो गए. 18 साल की उम्र में वो मुक़म्मल तरह से एक हकीम हो गए. 21 साल की छोटी उम्र से ही अपनी लिखावट की शुरुवात करने वाले अविसन्ना ने कई मौजूं पर किताबें लिखीं, उन्होंने मैथमेटिक्स,ज्योमेट्री, एस्ट्रोनॉमी, फिजिक्स, मेटाफिजिक्स, फिलोसफ़ी, मौसिक़ी और यहाँ तक कि शाइरी पर किताबें लिखीं.

अविसन्ना ने कुल 450 किताबें लिखीं जिनमें से 240 आज भी मौजूद हैं. इन 240 किताबों में से 150 फ़िलासफ़ी पर हैं जबकि 40 दवाईयों के बारे में हैं. अल-क़िफ़ती बताते हैं कि अविसन्ना ने 21 बड़ी और 24 छोटी किताबें फ़िलोसोफ़ी, दवाइयों, मज़हब, ज्योमेट्री,एस्ट्रोनॉमी और इस तरह के मौज़ूं पर लिखी हैं.

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उन्होंने अक्ल और लॉजिक की बात की, उन्होंने क़ुरान को लॉजिक के हिसाब से समझने की कोशिश की, इससे उन्हें मेटा-फिजिक्स को समझने में मदद मिली.

उनकी किताबें किताब-अल शिफ़ा, अल-क़ानून फ़ी अल तिब्ब और दवाओं की तारीख़ आज भी मशहूर हैं.

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एडवर्ड ग्रंविल्ले ब्राउन का दावा है कि अविसन्ना की बहुत सारी फ़ारसी शाइरी ग़लती से लोग ओमर ख़य्याम की समझ बैठे हैं जबकि असल में ये इब्न-सीना यानी अविसन्ना की हैं. अविसन्ना ने फ़ारसी और अरबी दोनों ज़बानों में शाइरी की.

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अविसन्ना इस्लामिक गोल्डन ऐज के सबसे बड़े फ़िलासफ़र माने जाते हैं. उनका इन्तेक़ाल 1037 में ईरान के शहर हमदान में हुआ.

अविसन्ना के सम्मान में UNESCO हर दो साल पे ‘अविसन्ना प्राइज फॉर एथिक्स’ देता है जबकि ईरान में उन्हें एक क़ौमी सितारे के तौर पर देखा जाता है.

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