मुस्लिम ख़वातीन के लिए कई क़वानीन और सकीमात लेकिन अमल नहीं

क़ौमी कमीशन बराए ख़वातीन के ज़ेर-ए‍एहतेमाम शहर हैदराबाद के अंदर प्रिय दर्शनी हाल में मुनाक़िदा पहली रियास्ती कांफ्रेंस के पहले सेशन डेज़र्टीड मुस्लिम वीमनस (छोड़ी हुई मुस्लिम ख़वातीन) में मेहमान-ए-ख़ुसूसी की हैसियत से ख़िताब करते हुए न्यूज़ एडीटर रोज़नामा सियासत आमिर अली ख़ान ने ख़िताब करते हुए कहा कि शहर हैदराबाद से जो तहरीक शुरू की जाती है वो सारे मुल्क में इन्क़िलाब की शक्ल इख़तियार करलेती है।

उन्होंने मुस्लिम ख़वातीन के मुताल्लिक़ पहली रियास्ती कांफ्रेंस के इनइक़ाद पर कांफ्रेंस के मुंतज़मीन और क़ौमी कमीशन बराए ख़वातीन को मुबारकबाद पेश करते हुए कहा कि हुनरमंद और तालीमी याफ़ता ख़वातीन अपने हुनर और क़ाबिलीयत का बेहतर अंदाज़ में इस्तेमाल करते हुए तरक़्क़ी की राहों पर गामज़न होसकती हैं।

उन्होंने कहा कि ख़वातीन की फ़लाह-ओ-बहबूद और तहफ़्फ़ुज़ के मुताल्लिक़ मुख़्तलिफ़ क़वानीन और एक्ट का क़ियाम तो अमल में लाया जाता है मगर इस अमल पर अमल आ वारी नहीं है उन्होंने कहा कि हज़ारों करोड़ के बजट की इजराई के एलानात तो किए जाते हैं मगर बजट का इस्तेमाल नहीं किया जाता उन्होंने मुसलमानों के मुताल्लिक़ हुकूमत की तरफ से स्किमात के एलानात का भी इस मौके पर तज़किरा किया और कहा कि स्किमात का एलान किए जाते हैं मगर इस से इस्तेफ़ादा उठाने मुसलमानों के लिए दुशवार बन जाता है।

क्यूंकि क़वाइद की तकमील के बाद जिन ही मज़कूरा स्किमात से इस्तेफ़ादा मुम्किन है मगर मुसलमान हुकूमतों की तरफ से लागू किए गए क़वाइद के ज़ुमरे में नहीं आते आमिर अली ख़ान ने कहा कि मुस्लिम ख़वातीन को दरपेश मसाइल के हल के मुताल्लिक़ संजीदगी दरकार है।

उन्होंने एलानात के अलावा अमली इक़दमात को भी मसाइल के लिए ज़रूरी क़रार दिया उन्होंने मक्का मस्जिद बम धमाकों के बाद मुस्लिम नौजवानों के साथ पेश आए वाक़ियात का इस मौके पर तज़किरा करते हुए कहा कि 113 बेक़सूर बच्चों को गिरफ़्तार करके एक साल तक उन्हें जेल में रखा गया और एक साल बाद बेक़सूर पाए जाने वाले नौजवानों को हर्जाना के तौर पर रियास्ती अकलियती कमीशन ने मुस्लिम नौजवानों के ख़िलाफ़ साज़िश करने वाले पुलिस ओहदेदारों की तनख़्वाहों से रक़म अदा करने की हुकूमत से सिफ़ारिश की थी जिस को नज़र अंदाज़ करते हुए सियासी हुकूमत ने रियासत के अकलियती इदारे को जारी करदा फ़ंड से हर्जाना की रक़म अदा की थी।

उन्होंने सियासी हुकूमत के इस अमल का हवाले देते हुए कहा कि ख़ाह कमीशन हो या फिर कमेटी अकलियती तबक़ात खसकर मुसलमानों से हमदर्दी और उनकी फ़लाह-ओ-बहबूद के लिए सिफ़ारिशात और अकदमात तो उठाती है मगर इस पर अमल आ वारी के लिए सियासी हुकूमतों को पाबंद नहीं करसकती।

शाइस्ता यूसुफ़ सदर महफ़िल उज़्मा नाहीद सदर एकराय प्रोफेसर शाहिदा नफीसा इसमएल ने भी इस सेशन से ख़िताब किया समाजी जहदकार कान्विनोर पी सी पी टी ए पी चियापटर आदिल मुहम्मद ने सेशन की कार्रवाई चलाई।