मुस्लिम ख़्वातीन से इम्तियाज़ी सुलूक के मुद्दे का जायज़ा करेगा सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट तलाक या शौहरों की कई शादियों जैसे मामलों में मुस्लिम ख़्वातीन के साथ होने वाले इम्तियाज़ी सुलूक के मुद्दे का जायज़ा करेगा. जस्टिस अनिल आर दवे और जस्टिस एके गोयल की बेंच ने मुस्लिम ख़्वातीन से होने वाले इम्तियाज़ी सुलूक के जायज़ा के लिए सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस से एक मुनासिब बेंच की तश्कील की गुजारिश किया है. एक पीआईएल की सुनवाई करते हुए जस्टिस दवे और जस्टिस गोयल ने मामले को नई बेंच के सामने पेश करने का हुक्म दिया जोकि मुस्लिम खातून (तलाक पर हुकूक के तहफ्फुज़ ) एक्ट को चुनौती देने वाले मामलों की सुनवाई करेगा.

बेंच ने कहा कि यह मुद्दा सिर्फ पालिसी वाला मामला नहीं है बल्कि आईन के तहत ख़्वातीन को मिले बुनियादी हुकूक से मुताल्लिक है. यह मुद्दा हिंदू जानशीन (तरमीम ) एक्ट से मुताल्लिक मामले की सुनवाई के दौरान उठा.

बेंच ने कहा कि, “आईन की जिम्मेदारी लेने के बावजूद मुस्लिम ख़्वातीन इम्तियाज़ी सुलूक की शिकार हैं. मनमाने ढंग से दिए जाने वाले तलाक और पहले शादी के बने रहने के दौरान ही शौहर का दूसरा निकाह कर लेने के खिलाफ कोई महफूज़ तरीका न होने से इन ख़्वातीन को तहफ्फुज़ नहीं मिल पाता है. इसका नतीजा उनके एहतेराम और सेक्युरिटी की खिलाफवर्जी की शक्ल में सामने आता है.” बेंच ने कहा, “इस उम्मीद के लिए, एक मुफाद ए आम्मा की अर्ज़ी को अलग से दर्ज़ कर हिंदुस्तान के चीफ जस्टिस के हुक्म के मुताबिक काबिल्बेंच के सामने पेश की जाए.” इस ताल्लुक में आली अदालत ने कहा, “अटार्नी जनरल और National Legal Services Authority को नोटिस जारी करें और 23 नवंबर तक इसका जवाब दाखिल करें. इस मामले में पेश हो चुके वकीलों को हम अदालत को अपने सुझाव देने की आज़ादी देते हैं.”