मुस्लियों की तस्वीरकशी का विजय् कुमार ने एतेराफ़ करलिया

मक्का मस्जिद के क़रीब 6 दिसमबर को पकड़े जाने वाले हिंदु नौजवान ने अपने मुबय्यना इक़बाली बयान में ये वाज़िह तौर पर कहा है कि वो जुमा की नमाज़ के मौके पर मस्जिद से बाहर आने वाले मुस्लियों की तस्वीरकशी कररहा था।

इस ने बड़ी होशयारी से या फिर किसी फ़िर्कापरस्त के कहने पर ये बयान दिया है जिस से नहीं लगता वो किसी भी तरह पुलिस के लिए काम कररहा है लेकिन विजय कुमार और इस के कारफ़रमा फ़िर्कापरस्त ज़हन इस बात को झटला नहीं सकते कि विजय कुमार ख़ुद पुलिस के लिए काम करने का एतेराफ़ करचुका है।

इस का सबूत ये हैके एक एसे वक़्त जब दोनों शहरों में बाबरी मस्जिद को शहीद करने की याद में मुख़्तलिफ़ मुस्लिम तंज़ीमों ने बंद मनाने का एलान किया था इस दौरान विजय कुमार मक्का मस्जिद के रूबरू पुलिस के आला ओहदेदारों के साथ देखा गया और उन मनाज़िर को रोज़नामा सियासत ने अपनी इशाअत के ज़रीये मंज़रे आम पर लाया था।

इस से ये सवालात उभरते हैंके विजय कुमार पुलिस का मुख़्बिर नहीं तो फिर मक्का मस्जिद के पास आली पुलिस ओहदेदारों के साथ किया कररहा था ?।

मस्जिद से निकलने वाले मुस्लियों की तस्वीरकशी अपने मोबाईल फ़ोन से क्यों कररहा था ? और अपने गले में अल्लाह की लॉकेट क्यों पहना हुआ था और वो कला शर्ट में क्यों मलबूस था।

योमे स्याह पर विजय कुमार की मुश्तबा हरकतों से ये अंदाज़ा होता हैके एक आम हिंदु नौजवान इस तरह की सरगर्मीयों में शामिल् नहीं हो सकता जब तक कोई बड़ी फ़िर्कापरस्त ताक़त उसकी सरपरस्ती ना करे।

विजय कुमार को जिसे मुग़लपूरा पुलिस ने दोनों फ़िरक़ों के दरमयान मुनाफ़िरत फैलाने के इल्ज़ाम में गिरफ़्तार किया है तहक़ीक़ात के दौरान इस ने अपने मुबय्यना इक़बाली बयान में ये बताया कि वो अपनी ज्वेलरी शाप में आने वाली मुस्लिम ख़वातीन को राग़िब करने और ख़ुद को मुस्लिम हमदरद ज़ाहिर करने के लिए अल्लाह का लॉकेट पहना करता था।

6 दिसमबर के दिन इस ने मक्का मस्जिद के रूबरू वाक़्ये मिलन जूस शाप के क़रीब खड़े होकर नमाज़ जुमा की अदायगी के बाद मस्जिद से निकलने वाले मुस्लियों की अपने मोबाईल फ़ोन से तस्वीरकशी की थी।

विजय कुमार के इक़बाली बयान को देखने से ये ये अंदाज़ा होता है कि पुलिस ने 153A के तहत मुक़द्दमा दर्ज करके उसे गिरफ़्तार तो किया है लेकिन इस के ख़िलाफ़ कुछ ठोस शवाहिद इकट्ठा नहीं किए।