मुहम्मद अबदुलक़दीर की पेरोल में 30 जून तक तौसी

हैदराबाद 24 अप्रैल: आंध्र प्रदेश हाइकोर्ट ने साबिक़ पुलिस कांस्टेबल मुहम्मद अबदुलक़दीर की पेरोल में 30 जून तक तौसी करदी। जस्टिस नौशाद अली ने उबूरी फैसले में हुकूमत को ये हिदायत दी के क़दीर जो दो माह के लिए पेरोल पर है, उन्हें मज़ीद वक़्त के लिए पेरोल पर जेल से बाहर रखा जाये।

वाज़िह रहे कि क़दीर की बिवि साबरा बेगम ने हाइकोर्ट में एक रिट दरख़ास्त दाख़िल करते हुए उन के शौहर को तवील अर्सा तक जेल में गैरकानूनी तौर पर महरूस रखने पर हुकूमत से पच्चास लाख रुपये का मुआवज़ा का मुतालिबा किया था ।

दरख़ास्त की समाअत के दौरान साबरा बेगम के वकील श्रीमती पुश्पेंदर कौर एडवोकेट ने ये कहा कि क़दीर के साथ हुकूमत इम्तियाज़ बरते हुए उन्हें उम्र कैद की सज़ा मुकम्मल होने पर भी रहा नहीं किया गया जो सुप्रीम कोर्ट के अहकामात की ख़िलाफ़वरज़ी है।

एडवोकेट ने मज़ीद कहा कि क़दीर तवील अरसे से कई अमराज़ के शिकार हैं जिस के बाइस उन का एक पैर भी काट दिया गया है और वो माज़ूर हैं।

हाइकोर्ट ने दरख़ास्त पर क़तई फैसला ना देते हुए उबूरी फैसले में क़दीर को राहत देते हुए पेरोल में 30 जून तक तौसी की। साबिक़ कांस्टेबल को अस्सिटैंट कमिशनर पुलिस सत्य को गोली मारकर हलाक करने के इल्ज़ाम में साल 1992 में उम्र कैद की सज़ा सुनाई गई थी और वो जब से जेल में महरूस है।

हुकूमत ने साबरा बेगम की तरफसे साल 2012 में रिहाई के लिए दाख़िल की गई एक दरख़ास्त को रध करते हुए ये कहा कि क़दीर को रहा करने पर शहर में फ़िर्कावाराना फ़सादाद बरपा होसकते हैं और उन्हें दो माह के लिए पेरोल पर रहा किया जिस की मोहलत 7 मेए को ख़त्म होगी।

कोर्ट ने रिट दरख़ास्त की समाअत को 17 जून तक के लिए मुल्तवी करदिया। हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद क़दीर और उन के अरकान ख़ानदान में खुशि की लहर दौड़ गई।