हैदराबाद: अमेरिका स्थित हैदराबादी मनोचिकित्सक डाक्टर खुतबुद्द्दीन ने मोहम्मद अली पे तीस साल के अनुभव को साझा करते हुए कहा है की अली रिंग से बाहर एक करिश्माई शक्सियत थे
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रिंग के अंदर अली हमलावर रहते थे और अपने विरोधी पे जरा भी रहम नही करते थे लेकिन रिंग के बाहर अली जाती ज़िन्दगी बेहद रहम दिन इंसान थे अच्छे अख़लाक़ से पेश आना उनकी शक्सियत को बुलंदी पे ले गया .
डाक्टर खुत्बुद्द्दीन का कहना है कि वो जब अपने करियर की बुलंदी पे थे तभी उन्होंने मुसलमान बन्ने का फैसला किया वो इस्लाम के हर अरकान को शिद्दत से करते थे अल्लाह का ज़िक्र मुसल्सल करना उन्होंने अपनी आदत बना लिया था .
डाक्टर खुतबुदद्दीन का कहना है अली अक्सर जुमेरात और जुमे को उनके घर आते थे जुमे पे नमाज़ बाद वो खाना साथ भी खाते थे उन्हें भारतीय खाना बहुत पसंद था वो मेरी बीबी को बहन कहते थे जो खाना बच जाता था वो अपने साथ घर ले जाते थे वो मेरे बेटे के साथ बॉक्सिंग भी करते थे
अली वो थे जिनको हर पल हम मिस करेंगे
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