ख़तीर सब्सीडी के ज़रीया आज़मीन के हमराह सरकारी वफ़ूद रवाना करने पर सुप्रीम कोर्ट का इज़हार ब्रहमी नई दिल्ली। 19अक्टूबर ( पी टी आई) सुप्रीम कोर्ट ने आज मर्कज़ पर ब्रहमी ज़ाहिर करते हुए कहा कि मुक़द्दस फ़रीज़ा हज को सयासी रंग देना मर्कज़ का अमल इंतिहाई मायूब और बदतरीन है।ख़तीर सब्सीडी की पेशकश करते हुए हुकूमत आज़मीन के हमराह सरकारी वफ़ूद रवाना कररही है जो मज़हब को सयासी रंग देने वाला ख़राब अमल है। जस्टिस आफ़ताब आलम और रंजना प्रकाश देसाई पर मुश्तमिल एक बंच ने सवाल किया कि ये किस नौईयत का हरकतहै, क्या ये सयासी मक़सद केलिए है, ये बहुत ही ख़राब अमल है, मज़हब को सयासी रंग देना बदतरीन शक्ल है। फ़रीज़ा हज केलिए सरकारी वफ़ूद को रवाना करना हक़ीक़ी हज नहीं कहलाता। सुप्रीम कोर्ट ने ये रिमार्कस उस वक़्त किए जब मर्कज़ ने बंबई हाइकोर्ट के फ़ैसला को चैलेंज करते हुए अपील दायर की थी। इस फ़ैसला में बंबई हाईकोर्ट ने वज़ारत-ए-ख़ारजा को हिदायत दी थी कि वो बाअज़ ख़ानगी आपरेटर्स को 11हज़ार आज़मीन के मिनजुमला 800आज़मीन की ख़िदमात की इजाज़त दे और ये हुकूमत की जानिब से मुक़र्ररा वे आई पेज कोटा की सब्सीडी के तहत दिया जाई।बंच नी0अक्टूबर को हाइकोर्ट के अहकाम पर हुक्म अलतवा दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने आज इस हुक्म अलतवा में तौसीअ करते हुए ताहम फ़रीज़ा हज की तकमील केलिए कोटा का इस्तिमाल करने के तरीका-ए-कार पर अपनी नाराज़गी ज़ाहिर करने में कोई कसर बाक़ी नहीं रखी। इस कोटा के तहत वे आई पेज खासकर सरकारी ओहदेदारों को सरकारी ख़र्च पर हज केलिए रवाना किया जाता है। बंच ने अटार्नी जनरल जी वहा नोती और वकील हरीश बैरन जो मर्कज़ की पैरवी कररहे हैं कहा कि हुकूमत को आइन्दा साल हज केलिए एक नई पालिसी वज़ा करना ज़रूरी है जिस पर अदालत नज़र रखेगी। बंच ने कहा कि हम इस पालिसी की निगरानी करेंगी। इस वक़्त तक हम इस मुआमला को ज़ेर अलतवा रखेंगी। जस्टिस आलम ने निशानदेही की कि माज़ी में ज़ईफ़ अफ़राद है फ़रीज़ा हज का अज़म करते थे और ये लोग अपने ज़ाती ख़र्च पर देनी फ़रीज़ा अंजाम देते थी, तमाम दुनयवी फ़राइज़ की तकमील के बाद ज़ईफ़ हज़रात हज केलिए रवाना होते थे लेकिन अब हुकूमत आज़मीन को सरकारी ख़र्च पर फ़रीज़ा हज केलिए रवाना कररही है। दीगर वे आई पेज भी सरकारी ख़र्च से इस्तिफ़ादा कररहे हैं जो एक ख़राब और मायूब बात है।