मुख़ालिफ़ ( दुश्मन/शत्रु) इस्लाम अमेरीकी फ़ौजी निसाब

इस्लाम की सरबुलन्दी के लिए मुसलमानों को इस्लामी तालीमात ( शिक्षा) पर सख़्ती से अमल करना ज़रूरी है। इस्लाम बेज़ार ताक़तें इस मज़हब को अपने लिए ख़तरा महसूस करते हुए हर आए दिन नित नए तमाशे कर रही हैं। अमेरीका में इस्लाम के बारे में फैलाए जाने वाली नफ़रत अंगेज़ मुहिम ने अब काबिल-ए-मुज़म्मत रुख इख्तेयार किया है।

इस्लाम के साथ मुकम्मल जंग की तैयारी करने की हिदायत के साथ अमेरीकी ओहदेदारों को ये सबक़ सिखाया जा रहा है कि इस्लाम के ख़िलाफ़ अपनी नफ़रत अंगेज़ मुहिम में शिद्दत पैदा करें। अमेरीकी फ़ौज ने मक्का बम का नाम दे कर हीरोशीमा पर गिराए गए बम की तरह काबा अल्लाह पर हमले ( नाऊज़‍ बिल्लाह ) करने का मंसूबा बनाया है।

अगर इस ख़बर में सदाक़त है तो फिर अमेरीका और इसके हामी मुल्कों को इस्लाम के ख़िलाफ़ नफ़रत अंगेज़ मंसूबों से होने वाली तबाही के लिए ख़ुद ज़िम्मेदार होना पड़ेगा। पेंटगान ने अगर चीका इसी तरह के मक्का बम और काबा अल्लाह पर हमले करने की ख़बरों या इस्लाम के साथ कामिल जंग की तैयारी करने फ़ौज को हिदायत देने से मुताल्लिक़ इत्तेलाआत से ख़ुद को लाताल्लुक़ करने की कोशिश की है।

महकमा दिफ़ा की क्लास में सिपाहीयों को इस्लाम के ख़तरात से निमटने के लिए हीरोशीमा तर्ज़ के हरबे इख्तेयार करने की तरग़ीब दी जा रही है। लेकिन महकमा दिफ़ा, पेंटगान के सरबराहों, जवाइंट चीफ़ आफ़ स्टाफ़ के चेयरमैन जनरल मार्टिन डमप्से ने इन ख़बरों को क़तई काबिल-ए-एतराज़ क़रार देते हुए उसे अपने क़दरों के मुग़ाइर (विरोध) क़रार दिया है।

अमरीकी फ़ौज को दी जाने वाली तर्बीयत को अप्रैल में ही मंसूख़ करने का दावा किया गया है और इस तरह का निसाब तैयार करने वाले फ़ौजी लेफ्टीनेंट कर्नल मैथवा ए डरले को शोबा तालीम से हटा दिया गया। लेकिन अमरीका और इस की फ़ौज की जानिब से वक़तन फ़वक़तन फैलाए जाने वाली इस तरह की दिल आज़ार ख़बरों ( दिल को दुखाने वली खबरें) के पीछे यही राज़ पोशीदा मालूम होता है कि मुसलमानों की दिल आज़ारी ( बीमार) करके उन्हें मुश्तइल ( भड़काना) किया जाय।

आलम अरब में मुख़ालिफ़ ( दुश्मन/शत्रु) मग़रिब एहतिजाज को हवा दी जाए। 9/11 के बाद अमेरीका ने जितने भी मुख़ालिफ़ इस्लाम हरबे इख़तियार किए वो नाकाम हो चुके हैं। अब ला इंफ़ोर्समेंट एजेंसीयों में मुख़ालिफ़ मुस्लिम दर्सी मवाद को फैलाने की कोशिश एक ताज़ा मिसाल है, क्योंकि इस तरह की हरकतों में एफ़ बी आई और न्यूयार्क पुलिस के मुलव्वस होने की ख़बरें पहले भी आ चुकी हैं।

आलमी सतह पर 1.4 बिलीयन मुसलमानों के ख़िलाफ़ कामिल जंग का इरादा करने या इस की तैयारी के लिए अमेरीकी सिपाहीयों को दी गई हिदायात तशवीशनाक हैं। अमेरीका सारी दुनिया के मुल्कों को हथियारों के इस्तेमाल या ज़ख़ीरा करने से बाज़ रखने की कोशिश करता है जबकि वो ख़ुद मुसल्लह लड़ाई वाली बातें करके जेनेवा कनवेनशन के मयारात को नजर अंदाज़ कर रहा है। अमेरीकी फ़ौज की तर्बीयत (Training) के लिए जिन क्लासों का इंतेख़ाब किया गया वहां से बरामद कर्दा सैंकड़ों सफ़हात के दर्सी मवाद से पता चलता है कि अमेरीकी फ़ौज, कमांडर्स, लेफ्टीनेंट, कर्नल, कप्तानों और कर्नल्स पर ज़ोर दिया गया है कि वो मुख़ालिफ़ इस्लाम कोर्स को मुकम्मल करें।

इसके साथ ये भी ग़लत तास्सुर ( प्रभाव) देने की कोशिश की जा रही है कि अमेरीकी क़ौमी सलामती को असल ख़तरा इंतहापसंदों से नहीं इस्लाम से है। अमेरीका में जब सदारती इंतेख़ाब में सदर के लिए मुक़ाबला आराई का वक़्त आता है तो इस्लाम को निशाना बनाने का मक़सद अमेरीकी राय दहिंदों की हमदर्दी हासिल करना होती है।

सितंबर में भी एफ़ बी आई को पेश कर्दा निसाब में भी मुख़ालिफ़ इस्लाम मवाद ( सुबूत/ प्रमाण) था। एफ़ बी आई ने अपने सिपाहीयों को तर्बीयती मवाद ( सुबूत/ प्रमाण) फ़राहम करने का इंतेज़ाम किया, और अमेरीकी मुसलमानों को दहश्तगर्दों के हामी क़रार दे कर नफ़रत अंगेज़ी को हवा देने की कोशिश की गई।

अमेरीका के आला ओहदेदारों या पेंटगान ने इस तरह की ख़बरों की परज़ोर तरदीद की है। लेकिन मुख़ालिफ़ इस्लाम तक़ारीर और सदारती इंतिख़ाब के लिए जारी मुहिम में मुख़ालिफ़ इस्लाम प्रोपगंडा को हुआ दे कर तास्सुर देने की कोशिश की जा रही है। ये बहरहाल एक ख़तरनाक खेल है जिस का मंसूबा 9/11 से क़ब्ल (पहले) ही बनाया गया था।

अमेरीकी फ़ौज या पेंटगान आलम इस्लाम को निशाना बनाते हुए मुसलमानों के सीने पर नफ़रत की महर साबित करने वालों को ये जानना ज़रूरी है कि इस्लाम के ख़िलाफ़ प्रोपगंडा के बरअक्स नताइज ( नतीज़े) बरामद हो रहे हैं। अमेरीका में 9/11 से क़ब्ल के इस्लाम और आज के इस्लाम और मुसलमानों की तादाद में ज़मीन आसमान का फ़र्क़ पैदा हो गया है।

यही वजह है कि अमेरीकीयों में इस्लाम के ख़िलाफ़ ख़ौफ़-ओ-डर पैदा करके सदारती उम्मीदवार इन अपने इम्कानात को फ़रोग़ देने की कोशिश कर रहे हैं। जिस मुल़्क की फ़ौज इस्लाम के ख़िलाफ़ नफ़रत अंगेज़ मुहिम चला रही है वो ख़ुद ही आलमी इंसानियत के लिए नफ़रत के काबिल है। फ़ौजी कोर्स में मुसलमानों के ख़िलाफ़ जंग और इस्लाम को दुशमन के तौर पर सबक़ हासिल करने वाली फ़ौज को इस ख़तरनाक सोच और अमल के भयानक नताइज ( नतीजों) का सामना करना पड़ेगा।

अमेरीकी फ़ौज अगर अपने मुतनाज़ा निसाब के ज़रीया दूसरी जंग-ए-अज़ीम में हीरोशीमा की तर्ज़ पर हमले करने का सबक़ हासिल करना तर्क नहीं करेगी तो इसका ये दावा झूट साबित होगा कि इस की लड़ाई इस्लाम मज़हब के ख़िलाफ़ नहीं बल्कि दहश्तगर्दों के ख़िलाफ़ है।

दूसरी मीयाद के लिए मुक़ाबला करने वाले सदर बारक ओबामा को अमेरीकी फ़ौज के मुख़ालिफ़ इस्लाम निसाब के ख़िलाफ़ फ़ौरी इक़दाम करते हुए इस्लाम के ताल्लुक़ से नफ़रतअंगेज़ मुहिम को फ़ौरी ( फौरन) रोकने की ज़रूरत है।