इम्फाल, ३० दिसम्बर: (पी टी आई) क़ियाम अमन के लिए हुकूमत से बातचीत करने वाले अस्करीयत पसंदों को हुकूमत के ज़ेर-ए-निगरानी कैम्पों में ठहराया गया है और उन्हें ख़ुसूसी तौर पर हिदायत दी गई है कि वो 28 जनवरी को मुनाक़िद शुदणी असैंबली इंतिख़ाबात की गहमागहमी से ख़ौर को दूर रखें। सरकारी ज़राए ने ये बात बताई।
वाज़िह रहे कि 28 जनवरी के इंतिख़ाबात का जायज़ा यने हाल ही में तशकील शूदा रियास्ती कुआर्डीनेशन कमेटी के एक इजलास में ये फ़ैसला किया गया कि अस्करीयत पसंदों को इंतिख़ाबी गहमागहमी और मुहिम से दूर रखा जाए। इस इजलास की सदारत चीफ़ सैक्रेटरी डी एस पूनिया ने की थी। मिस्टर पूनिया के मुताबिक़ कूकी कम्यूनिटी से ताल्लुक़ रखने वाले अस्करीयत पसंदों को ख़ुसूसी तौर पर अनतख़ाबाए मुहिम से दूर रखने की बातचीत पर ज़ोर दिया गया था।
इलावा अज़ीं इंतिख़ाबात के दौरान स्कियोरटी का मौज़ू भी ज़ेर-ए-बहस आया। स्कियोरटी को एहमीयत का हामिल इस लिए समझा जा रहा है क्योंकि बाअज़ अस्करीयत पसंदों ने इंतिख़ाबात के बाईकॉट का ऐलान किया था और इस सूरत में तशद्दुद फूट पड़ने के अंदेशे भी पाए जाते हैं।
यहां इस बात का तज़किरा भी ज़रूरी है कि क़ब्लअज़ीं कोई कम्यूनिटी के अस्करीयत पसंदों ने हुकूमत के साथ जिस मुआहिदा पर दस्तख़त किए थी, उस की पहली शर्त ये थी कि स्कियोरटी अफ़्वाज अस्करीयत पसंदों के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं करेगी और शायद इस लिए अस्करीयत पसंदों को कैम्पों में ठहराया गया है ताकि उन की हरकात-ओ-सकनात पर नज़र रखी जा सके।
इजलास में ही इस का फ़ैसला किया गया था कि अस्करीयत पसंदों को कैम्पों में रखा जाएगा और उन की तमाम तर्ज़ुमा दारी मर्कज़ी नियम फ़ौजी दस्तों के हवाले की गई है।