मुज़फ़्फ़रनगर फ़िर्कावाराना फ़सादात के मुतास्सिरीन के लिए एक रीलीफ़ कैंप में एक आरज़ी हॉस्पिटल क़ायम किया गया है जो मौज़ा लूई में है। याद रहे कि कुछ रोज़ क़बल ही सुप्रीम कोर्ट ने इन पनाह गज़ीन कैम्पों में 40 बच्चों के फ़ौत होजाने का सख़्त नोट लिया था।
डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट एम के कौशल राज शर्मा ने कहा कि दो डॉक्टर्स जिन में एक ख़ातून डाक्टर भी हैं उनके स्टाफ़ को आरज़ी हॉस्पिटल में ख़िदमात अंजाम देने मुक़र्रर किया गया है। रीलीफ़ कैंप में 71 ख्वातीन के हामिला होने की इत्तिला है जबकि इन में से छः की हालत ज़चगी के बिलकुल क़रीब पहुंच चुकी है यानी 9 माह की पूरी होचुकी है और वो किसी भी वक़्त ज़चगी के अमल से गुज़र सकती हैं।
उन्होंने कहा कि इन ख्वातीन को हॉस्पिटल ले जाने एक एम्बोलेंस भी फ़राहम की गई है। लोई कैंप में बच्चों की तादाद 283 है और उन्हें मिल्क पाउडर भी दिया जा रहा है। याद रहे कि 12 दिसम्बर को अपेक्स कोर्ट ने हुकूमत उत्तरप्रदेश को हिदायत की थी कि शदीद सर्दी से मुतास्सिर रीलीफ़ कैंपस में मौजूद अफ़राद की राहत कारी केलिए फ़ौरी इक़दामात किए जाएं।
दूसरी तरफ़ एक मुक़ामी अदालत ने मुज़फ़्फ़रनगर के मौज़ा लिंक में फ़िर्कावाराना फ़सादात के दौरान चार अफ़राद को मौत के घाट उतारने वाले दो अफ़राद की दर्ख़ास्त को रद कर दिया। ओपेन्द्र और महक सिंह नामी मुल्ज़िमीन की दर्ख़ास्त को डिस्ट्रिक्ट सेशन्स कोर्ट के जज रमाजीन ने ये कह कर रद कर दिया कि उनकी अदालत में ज़मानत मंज़ूर किए जाने का सवाल ही पैदा नहीं होता।
इस्तिग़ासा के मुताबिक़, महरूमीन, रईस, ताहिर और वहीद नामी मुसल्मानों को 8 सितंबर 2013 को फ़सादात के दौरान हलाक कर दिया गया था जिस में वहीद को ज़िंदा जला दिया गया था। पुलिस ने मरहूम की हलाकत पर दो मुआमलात और रईस, ताहिर और वहीद की हलाकत पर एक मुआमला दर्ज किया है।
याद रहे कि जारिया साल सितंबर में मुज़फ़्फ़रनगर में फूट पड़ने वाले फ़िर्कावाराना फ़सादात में ज़ाइद अज़ 60 अफ़राद हलाक और 40,000 अफ़राद बेघर होगए थे।