मुज़फ़्फ़रनगर फ़साद,एस पी और बी जे पी का सियासी खेल: स्वामी लक्ष्मी शंकराचार्य

हैदराबाद 16 सितंबर – मुज़फ़्फ़रनगर यूपी में फ़िर्क़ापरस्तों के हाथों मुसलमानों के क़त्ल-ए-आम पर मुल्क के इंसाफ़ पसंद और इंसानियत नवाज़ शहरियों में शदीद तशवीश पाई जाती है। इन मुस्लिम कश फ़सादाद के बारे में मुहिब-ए-वतन शख़्सियतों का कहना है कि ये सियासी फ़ायदा हासिल करने के लिए समाजवादी पार्टी और बी जे पी की जानिब से रची गई साज़िश का एक हिस्सा है ताकि मुसलमानों की नाशों पर सियासी मक़ासिद हासिल किए जाएं।

स्वामी लक्ष्मी शंकराचार्य ने मुज़फ़्फ़रनगर फ़सादात पर तबसेरा करते हुए उसे इंतिहाई शर्मनाक और इंसानियत को रुलाने वाले वाक़ियात से ताबीर करते हुए इल्ज़ाम आइद किया कि मुज़फ़्फ़रनगर में पेश आए एक मुक़ामी वाक़िये को अखिलेश यादव हुकूमत ने जानबूझ कर ऐसा मोड़ दिया कि ये मुआमला मुहल्ले की सतह का ना रहे बल्कि वो समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी का मुआमला बन जाये और उन फ़सादात का ज़्यादा से ज़्यादा फ़ायदा उठाया जाये और इस फ़ायदा के लिए नाशों के ढेर ही क्यों ना लग जाएं।

शंकराचार्य ने कहा कि नाशों की ढेर पर सियासत करने वाले सियासी क़ाइदीन और मुल्क के हिंदूओं को जान लेना चाहीए कि सच्चा मुसलमान इंसाफ़ को ही पसंद करता है क्योंकि वो मज़हबे इस्लाम इंसाफ़ और अच्छाईयों का इल्म बुलंद करने वाला मज़हब है।

यूपी के ज़िला कानपूर के एक ब्रहमन ख़ानदान में पैदा हुए लक्ष्मी शंकर त्रिपाठी ने जो कभी इस्लाम और मुसलमानों के कट्टर मुख़ालिफ़ थे, सीरत उन्नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम और इस्लाम के बारे में मुख़्तलिफ़ किताबों के मुताले के बाद अपनी ग़लती का एहसास करते हुए मुल्क में फ़िर्कावाराना हम आहंगी को फ़रोग़ देने की कोशिश शुरू की हैं। शंकराचार्य ने क़ुरआन मजीद की एक आयत का हवाला देते हुए कहा कि इस आयत में अल्लाह ताला का हुक्म है ए ईमान वालो ! अल्लाह के लिए ख़ूब उठने वाले, इंसाफ़ की निगरानी करने वाले बनो ऐसा ना हो कि किसी गिरोह की दुश्मनी तुम्हें इस बात पर उभार दे कि इंसाफ़ करना छोड़ दो ।

स्वामी शंकराचार्य ने कहा कि इस्लाम के उसूलों के एतबार से क़सूरवार, क़सूरवार है चाहे वो हिंदू हो या मुसलमान। इस सिलसिले में उन्हों ने हुज़ूर-ए-अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की मुबारक सीरत का हवाला देते हुए बताया कि अगर पैग़ंबर इस्लाम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के पास अगर एक यहूदी और एक मुसलमान अपने झगड़े का फ़ैसला कराने आता और अगर यहूदी हक़ पर होता तो आप फ़ैसला यहूदी के हक़ में देते।

स्वामी शंकराचार्य ने परज़ोर अंदाज़ में कहा कि मुज़फ़्फ़रनगर वाक़ियात के इब्तिदा में ही अखिलेश यादव इंसाफ़ और सख़्ती के साथ काम लिए होते तो ये फ़िर्कावाराना फ़सादात हरगिज़ हरगिज़ रौनुमा नहीं होते लेकिन अफ़सोस कि एक साज़िश के तहत जानबूझ कर फ़सादात को इबतिदाई मराहिल में ही रोकने की कोशिश नहीं की गई क्योंकि वोटों की सियासत करने वालों को तो दंगे फ़साद चाहीए। बेक़सूर हिंदूओं और मुसलमानों की नाशें चाहीए ताकि इक़तिदार के ऐवानों तक पहुंचने में आसानी होसके। शंकराचार्य के मुताबिक़ एस पी हुकूमत में बैठे सियासतदां एक मामूली वाक़िया को मज़हबी रंग देने की कोशिश करते रहे और बिलआख़िर वो अपनी इन शैतानी कोशिशों में कामयाब भी हुए। शंकराचार्य ने अमन-ओ-अमान के क़ियाम में उल्मा के रोल की सताइश करते हुए कहा कि इक़तिदार के भूके सियासतदां हिंदूओं और मुसलमानों के दरमियान नफ़रत की दीवारें खड़ी करते हुए अपने मफ़ादात की तकमील के ख़ाहां हैं। ऐसे में अवाम को इस तरह के सियासतदानों से चौकस रहने की ज़रूरत है।