सुप्रीम कोर्ट ने मुज़फ़्फ़रनगर और दीगर इलाक़ों में हुए फ़िर्कावाराना फ़सादात की सी बी आई तहक़ीक़ात कराने के लिए दाख़िल एक मफ़ाद-ए-आम्मा की दरख़ास्त को फ़ौरी समाअत के लिए क़बूल करने से इत्तिफ़ाक़ किया।
फ़िर्कावाराना झड़पों में अवाम के जान-ओ-माल की हिफ़ाज़त के लिए सी बी आई तहक़ीक़ात ज़रूरी है। जस्टिस जी एस सिंघवी की ज़ेर-ए-क़ियादत बैंच के सामने इस मुआमले को पेश किया गया तो बैंच ने उसकी समाअत कल मुक़र्रर की है। मफ़ाद-ए-आम्मा की दरख़ास्त को मुहम्मद हारून और दीगर ने दाख़िल करते हुए अदालत से ख़ाहिश की कि वो मर्कज़ और उत्तर प्रदेश हुकूमत को हिदायत दे कि फ़िर्कावाराना फ़सादात के पीछे वजूहात का पता चलाने के लिए फ़ौरी इक़दामात करें और फ़साद पर क़ाबू पाएं।
मफ़ाद-ए-आम्मा की दरख़ास्त में ये भी ख़ाहिश की गई है कि मुतास्सिरा अफ़राद की मुनासिब बाज़ आबादकारी की जाये और इन वाक़ियात के पीछे जिन का हाथ है, उन ख़ातियों को सख़्त सज़ा-ए-दी जाये। 20 हज़ार अफ़राद के मकानात को नज़र-ए-आतिश किया गया है। ये लोग आरिज़ी कैम्पों में मुक़ीम हैं। इन अफ़राद को ग़िज़ा, दवाएं नहीं मिल रही है। इसी दौरान दार-उल-उलूम देवबंद ने भी मुज़फ़्फ़रनगर फ़िर्कावाराना फ़सादात की सी बी आई तहक़ीक़ात का मुतालिबा किया है। मौलाना अब्दुल्लाह कासिम मुहतमिम दार-उल-उलूम देवबंद ने कहा कि फ़सादात की जांच से मुल्ज़िमीन को बचाने की कोशिश की जा सकती है। लिहाज़ा सी बी आई तहक़ीक़ात ज़रूरी है।