मुज़फ़्फ़रनगर में हुए फ़िर्कावाराना फ़सादाद के नतीजा में तक़रीबन पचास अफ़राद अपनी ज़िंदगी से हाथ धो बैठे हैं और हज़ारों अफ़राद बेघर हो चुके हैं। सैंकड़ों अफ़राद ऐसे हैं जो अपना साज़-ओ-सामान लुट जाने की वजह से मुश्किलात में घिरे हुए हैं। मुतास्सिरा मुसलमानों में इस क़दर ख़ौफ़ है कि वो अपने घरों को वापस होने को तैयार नहीं हैं।
बच्चों ख़वातीन और ज़ईफ़ अफ़राद का ये आलम है कि वो ख़ौफ़ के मारे अपने गावं का नाम लेने को तक तैयार नहीं हैं। ये लोग ऐसे हैं जो ग़ालिब मुस्लिम आबादी वाले इलाक़ों में बसना चाहते हैं। मुज़फ़्फ़रनगर फ़सादाद का एक पहलू ये है कि तक़रीबन 40 हज़ार अफ़राद अभी तक पनाह गज़ीन कैंपों में मुक़ीम हैं और तक़रीबान इतने ही अफ़राद अपने रिश्तेदारों के पास दूसरे मुक़ामात पर पनाह ले चुके हैं। उनके घरों पर ताले लगे हुए हैं यह फिर कुछ घर ऐसे हैं जहां फ़सादीयों ने लूट मार मचाई है ।
बात सिर्फ़ साज़-ओ-सामान की लूट मार तक महदूद नहीं है । एक तल्ख़ हक़ीक़त ये सामने आई है कि बेशुमार ख़वातीन की इस्मतों को दागदार किया गया है । कई ख़वातीन और लड़कियां ऐसी हैं जिनकी इस्मतों को तार तार कर दिया गया । ये ख़वातीन और लड़कियां अपना सब कुछ लुटा कर पनाह गज़ीन कैंपों में मुक़ीम हैं और वो ख़ुद पर हुए मज़ालिम के ताल्लुक़ से कुछ भी कहने के मौक़िफ़ में नहीं हैं ।
उनके घर वालों और रिश्तेदारों पर ख़ौफ़ का ये आलम है कि वो भी इस ताल्लुक़ से लब कुशाई की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं। मुज़फ़्फ़रनगर फ़साद के ताल्लुक़ से एक ग़लतफ़हमी ये भी पाई जाती है कि इस फ़साद में दोनों ही फ़िर्क़ों का जानी नुक़्सान हुआ है । ये ग़लत है । सिर्फ़ एक गावं बासी कलां एसा है जहां अक्सरीयती फ़िर्क़ा के अफ़राद को कुछ नुक़्सान हुआ है । ताहम यहां के अफ़राद अपने घरों में हैं और वो किसी पनाह गज़ीन कैंप में नहीं गए हैं।
ग़ालिब मुस्लिम आबादी वाले इलाक़ों में भी अक्सरीयती फ़िर्क़ा के अफ़राद अपने घरों में बला ख़ौफ़ ज़िंदगी गुज़ार रहे हैं। फ़सादाद की कीमत सिर्फ़ गरीब मुसलमानों ने चुकाई है । उनके घर लुट गए और जल गए हैं। कई घरों में ज़िंदगियां मौत की आग़ोश में चली गई हैं। और ये लोग अपने घर बार वगैरह से भी महरूम हो चुके हैं।
ये नुक़्सान कुछ कम नहीं था इस पर सैंकड़ों ख़वातीन की इस्मतों को तार तार करने की इत्तेला भी मौसूल हुई है । एक अंदाज़ा के मुताबिक़ तक़रीबन 300 ख़वातीन और लड़कियों की इस्मतों को दागदार कर दिया गया । पुलिस और इंतेज़ामीया इस पहलू पर किसी तरह की कोई कार्रवाई करने को तैयार नहीं है । अभी तक इस ताल्लुक़ से कोई एफ आई आर दर्ज नहीं की गई है ।
जहां लोग पनाह गज़ीन कैंपों में हैं वहां भी कोई सहूलत उन्हें दस्तयाब नहीं हैं और बिलकुल ना मुसाइद हालात में वक़्त गुज़ारने पर मजबूर हैं। हालाँकि उन्हें मिल्लत के दर्द मंदों और हुकूमत की कुछ मदद उन तक पहुँच रही है लेकिन वो अभी तक फ़सादीयों के ख़ौफ़ में मुबतला हैं और गावं वापस जाने को तैयार नहीं हैं । कैम्पों में मुक़ीम कुछ लड़कियां ऐसी हैं जिन की बहुत जल्द शादी होने वाली थी लेकिन इन का सामान जहेज़ फ़साद की नज़र हो गया है और वो फिर मायूसी की शिकार हो गई हैं। पनाह गज़ीन कैम्पों में हालाँकि कुछ लड़कियों की शादियां हुई हैं लेकिन बेश्तर की उम्मीदें भी सामान के साथ जल कर ख़ाकसतर हो गई हैं।