मुज़फ़्फ़र नगर का हालिया फ़सादात की ग़फ़लत और कहीं कहीं उनकी मुजरिमाना ख़ामूशी का नतीजा है, कई महिनों से लगातार एक ख़ास तबक़ा के ख़िलाफ़ मुनज़्ज़म तरीक़ा से साज़िश की जा रही थी और माहौल को बिगाड़ने की कोशिश हो रही थी और इस में एक ख़ास ज़ात(जाट बिरादरी) को इस्तिमाल किया गया।
इस साज़िश से जहां इंतिज़ामिया चशम पोशी करती रही वहीं मीडिया ने भी बाज़ औक़ात हालात की तफ़सीलात पेश करने में इंसाफ़ और ग़ैर जानिबदारी से काम नहीं लिया। उसी का नतीजा था कि फ़साद इतना ज़्यादा भड़का और कितने बेगुनाहों का ख़ून पीने के इलावा हज़ारों को बेघर कर दिया।
इन ख़्यालात का इज़हार नाज़िम इमारत शरईह बिहार , उड़ीसा-ओ-झारखंड मौलाना अनीस-उल-रहिमान क़ासिमी ने अपने एक अख़बारी बयान में किया। वाज़िह हो कि नाज़िम इमारत शरईह मौलाना अनीस-उल-रहिमान क़ासिमी की क़ियादत में नायब नाज़िम मौलाना मुफ़्ती मुहम्मद सनाउल्होदा क़ासिमी, मौलाना क़मर अनीस क़ासिमी वग़ैरह पर मुश्तमिल इमारत शरईह का एक आला सतही वफ़द ज़िला मुज़फ़्फ़र नगर के फ़सादज़दा इलाक़ों के दौरे पर है।
इस वफ़द ने ज़िला मुज़फ़्फ़र नगर, शाम्ली और ज़िला बागपत में वाके मुख़्तलिफ़ पनाह गज़ीं कैम्पों का दौरा किया खासतौर से ये वफ़द कानधला,शाम्ली, थाना भवन, सरोट, मलिक पूर और कैराना के कैम्पों में गया और वहां के हालात का जायज़ा लेने के इलावा फ़साद मुतास्सिरीन से रूबरू हो कर उनकी ज़बानी उनकी आपबीती सुनी। मुतास्सिरीन ने जो हालात सुनाए वो इंतिहाई दिलख़राश थे। राहती कैम्पों में से कई कैंप ऐसे हैं जहां सरकारी तौर पर किसी तरह का कोई इंतिज़ाम नहीं किया गया है बल्कि मुक़ामी लोगों ही की तरफ़ से मुतास्सिरीन की राहत का सामान फ़राहम किया जा रहा है।
वफ़द की रिपोर्ट के मुताबिक़ सिर्फ़ कानधला के कैंप में सरकारी तौर पर गल्ला और राशन का इंतिज़ाम किया गया है इसके इलावा कहीं सरकारी इमदाद नहीं पहुँचाई गई है। कैराना में मुदर्रिसा इशाअत उल-इस्लाम में भी एक राहती कैंप लगा था जब वफ़द वहां पहूँचा तो वहां तक़रीबन तीन हज़ार से ज़्यादा मुतास्सिरीन पनाह गज़ीं थे सभों के चेहरे पर ख़ौफ़-ओ-दहश्त का साया था, इन में से कोई अपने बच्चों को खो चुका था, तो किसी की बीवी को उसकी आँखों के सामने मौत के घाट उतार दिया गया था, किसी ने अपने माँ बाप को खोया था तो किसी का भाई इससे बिछड़ा हुआ था, कोई अपनी बहन की शहादत का दर्द लिए हुए था तो किसी की आँखें अपने शौहर की तलाश में रोते रोते ख़ुश्क हो चुकी थीं।