मुफ़्त ख़िदमात अंजाम देने वाला करीम उल हक़

जलपाई गुड़ी, २८ नवंबर ( एजेंसी) हम सब ने चार पहीयों वाली एम्बूलेन्स तो बहुत देखी हैं लेकिन किसी बाईक एम्बूलेन्स का नज़ारा हमारे लिए यक़ीनन हैरतनाक हो सकता है लेकिन जिस किसी को भी अल्लाह या भगवान इंसानियत की ख़िदमत की तौफ़ीक़ देता है वो अपने रास्ते ख़ुद बना लेता है ।

चाय के बाग़ात में काम करने वाला एक वर्कर ऐसा है जो अपनी मोटर बाईक पर ज़रूरतमंद और ग़रीब मरीज़ों को हॉस्पिटल और दवाख़ानों तक मुफ़्त पहुंचाने का काम अंजाम देता है । करीम उल हक़ नामी शख़्स का ताल्लुक़ धुला बारी मौज़ा से है वो ना सिर्फ़ अपने मौज़ा में बल्कि पड़ोस के मवाज़आत में भी अपनी बाईक एम्बूलेन्स ख़िदमात के लिए मशहूर हो चुका है और उसे काफ़ी मक़बूलियत भी हासिल हुई है ।

करीम की बाईक एम्बूलेन्स ख़िदमात और इसका मोबाईल नंबर लोगों को ज़बानी याद हो चुका है । यही नहीं बल्कि मुक़ामी डॉक्टर्स और पुलिस भी बाईक एम्बूलेन्स ख़िदमात से बख़ूबी वाक़िफ़ हैं । सबसे अहम बात ये है कि करीम उल-हक़ किसी भी मरीज़ को हॉस्पिटल पहुंचाने के लिए सिर्फ़ दिन में ही नहीं बल्कि रात में किसी भी वक़्त दस्तयाब रहता है ।

इसका कहना है इंसान का मिज़ाज कब ख़राब हो जाए इसके बारे में कुछ भी कहा नहीं जा सकता । मिज़ाज दिन और रात देख कर नहीं बिगड़ता ।