मूसी नदी को ख़ूबसूरत बनाने के नाम पर एक हज़ार करोड़ रुपय ज़ाया

हैदराबाद। 23मई (सियासत न्यूज़)। यूं तो पैसा पानी में बहाना की मिसल मशहूर ही, लेकिन ये मिसल अवाम से ज़्यादा हुकूमत पर सादिक़ आती है। क्योंकि हुकूमत के मुख़्तलिफ़ मह्कमाजात ताहाल रौद-ए-मूसा को ख़ूबसूरत बनाने के प्रोजेक्ट‌ पर एक हज़ार करोड़ रुपय से ज़ाइद ख़र्च कर चुके हैं, लेकिन 2005-ए-से 2012-ए-के दौरान मूसा नदी में कोई ख़ूबसूरती पैदा नहीं हुई है बल्कि मूसा नदी की हैयत में मज़ीद बिगाड़ पैदा हुआ है।

हुकूमत के मुख़्तलिफ़ मह्कमाजात बिलख़सूस हैदराबाद मेट्रो पोलीटन डेवलपमेन्ट अथॉरीटी, मजलिस बलदिया आ बरसानी-ओ-दीगर ने मूसी बीवटीफ़कीशन प्रोजेक्ट‌ के नाम पर एक हज़ार करोड़ रुपय से ज़ाइद नदी कहलाने वाले इस नाले में बहा दिए हैं, लेकिन इस के कोई नताइज अब तक बरामद नहीं हो पाए हैं।

मूसा नदी को ख़ूबसूरत बनाने पराजकट के तहत इबतिदा में सीवरेज वाटर ट्रिटमेन्ट प्लांट की तामीर का मंसूबा बनाया गया था और जुमला 14 प्लांटस को मंज़ूरी दी गई, लेकिन इन में से ताहाल सिर्फ़ 9 प्लांटस मुकम्मल होपाई, माबाक़ी काम अधूरा छोड़ दिया गया। इस के इलावा मूसा नदी से जुड़ने वाले नालों के रुख को मर्कज़ी नाले तक महिदूद करने के मंसूबा के तहत नदी के बेचों बीच नाले की शक्ल तैय्यार की गई, लेकिन वो काम भी अधूरा है। मूसा नदी के पानी को साफ़-ओ-शफ़्फ़ाफ़ बनाकर मूसा नदी को सयाहती मर्कज़ में तब्दील करने के मंसूबा के तहत हाईकोर्ट ता सालार जंग म्यूज़ीयम नदी में दो रबर डीमस करोड़ों रुपय की लागत से तामीर किए गई, लेकिन वो भी मूसा नदी को ख़ूबसूरत बनाने में नाकाम रही।

मूसा नदी को ख़ूबसूरत बनाने क़ौमी तहफ़्फ़ुज़ नदी प्रोजेक्ट‌ के तहत हुकूमत को ज़बरदस्त फंड्स हासिल हुई, लेकिन इन का इस्तिमाल किया गया? अब तक कोई तफ़सीलात मौजूद नहीं हैं। ज़राए के बमूजब मूसा नदी को ख़ूबसूरत बनाने के प्रोजेक्ट‌ के तहत 1500 ता 2000 करोड़ रुपय मुख़्तलिफ़ मदात में ख़र्च किए जा चुके हैं, लेकिन अब भी नतीजा लाहासिल है। मूसा नदी बीवटीफ़कीशन प्रोजेक्ट‌ की अदम तकमील पर मजलिस बलदिया और आ बरसानी को लोक आ यूकता की जानिब से नोटिसें भी जारी की गईं, लेकिन बावजूद भी कोई नतीजा बरामद नहीं हुआ ही। ओहदेदारों के बमूजब मूसा नदी में मौजूद नाजायज़ क़ाबज़ीन के सबब तरक़्क़ीयाती काम मुतास्सिर हो रहे हैं जब कि मूसा नदी में मौजूद रिहायशी मकानात के मालकीयन का ये इस्तिदलाल है कि उन्हें दौरा-ए-आसफ़िया में पट्टे अलॉट किए गई।

मजलिस बलदिया और दीगर मह्कमाजात की जानिब से करोड़ों रुपय ख़र्च करने के बावजूद मौसी प्रोजेक्ट‌ की अदम तकमील से अंदाज़ा होता है कि किसी भी प्रोजेक्ट‌ में इस हद तक बदउनवानीयाँ-ओ-बे क़ाईदगीयाँ हो सकती हैं। क्योंकि इस प्रोजेक्ट‌ की तकमील के लिए कई मरहलों के काम काज का आग़ाज़ किया गया, लेकिन मौसी प्रोजेक्ट‌ की तकमील तो कुजा, इस के तामीराती कामों का आग़ाज़ करने के चंद दिनों बाद ही काम रोक दिए गए जिस के नतीजा प्रोजेक्ट‌ का हर मर्तबा नए सिरे से आग़ाज़ ज़रूरी होता गया।

एक जानिब मूसा नदी को ख़ूबसूरत बनाने इक़दामात के नाम पर करोड़ों रुपय हुकूमत बिशमोल मजलिस बलदिया ख़र्च कर रही है तो दूसरी जानिब बलदिया की जानिब से मूसा नदी के एक हिस्से में कचरा डाल कर ताफ़्फ़ुन फैलाया जा रहा है। इस से अंदाज़ा होता है कि मजलिस बलदिया मूसा नदी को ख़ूबसूरत बनाने में कोई दिलचस्पी नहीं रखती बल्कि इस प्रोजेक्ट‌ के सिलसिले में बलदिया का वदहरा म्यार है। नदी में तक़रीबन 9 करोड़ रुपय की लागत से तामीर करदा रबर डीमस मच्छरों की अफ़्ज़ाइश की आराम‌गाह बने हुए हैं, लेकिन इस पर कोई तवज्जा नहीं दी जा रही ही। मूसा नदी को ख़ूबसूरत बनाते हुए उसे सयाहत का मर्कज़ बनाने का मंसूबा तैय्यार करने वाली हुकूमतों और मजलिस बलदिया के इलावा तरक़्क़ीयाती इक़दामात के मुआविन महिकमों के तर्ज़ अमल से ऐसा महसूस होता है कि मूसा नदी को ख़ूबसूरत बनाना उन का मक़सद नहीं है बल्कि मूसा नदी में बदबू-ओ-ताफ़्फ़ुन के इलावा गंदगी में इज़ाफ़ा करते हुए शहरीयों की सेहत को मुतास्सिर करना ही। इस पराजकट के तहत जितने भी इक़दामात ताहाल किए गए हैं, इन से नदी को ख़ूबसूरत बनाने में कोई पेशरफ़त तो हासिल नहीं हुई, लेकिन नदी की हालत को अबतर हो गई जिस की मिसाल रबर डैम और नदी के बेचों बीच तैय्यार करदा मर्कज़ी नाला है।

बताया जाता है कि अब भी मूसा नदी में शहर के मुख़्तलिफ़ इलाक़ों से 15 ता 18 नाले पहुंचते हैं जोकि नदी के आलूदा पानी को मज़ीद गंदा बनाने में कलीदी किरदार अदा कर रहे हैं। मजलिस बलदिया और हैदराबाद मेट्रो पोलीटन डेवलपमेन्ट‌ अथॉरीटी के तर्ज़ अमल को देखते हुए ऐसा महसूस होता है कि ये दोनों इदारे मूसा नदी प्रोजेक्टा को फ़रामोश करचुके हैं और उन्हें अब इस पराजकट से कोई दिलचस्पी नहीं है।