मेंहदी हसन की आवाज़ का जादू अलफ़ाज़ में नाक़ाबिल ब्यान : दिलीप कुमार

शहनशाह जज़बात दिलीप कुमार ने पाकिस्तानी ग़ज़ल गुलूकार ( गायक) मेंहदी हसन के इंतेक़ाल पर शदीद ( शख्त) सदमा का इज़हार किया और कहा कि उन्हें और उनकी अहेलिया ( बीवी) को ये यक़ीन ही नहीं होता कि मेंह्दी हसन अब हमारे दरमयान ( बीच) नहीं रहे। 89 साला दिलीप कुमार ने कहा कि मरहूम मेंहदी हसन की आवाज़ में वो जादू था कि वो हर एक को अपना गरवीदा ( चाहने वाला) बना लेते थे।

दिलीप कुमार ने कहा कि मेंहदी हसन की ग़ज़लें सुनना उन के मर्ग़ूब मशगूलों में शामिल था। कभी कभी फ़ोन पर भी मेंहदी हसन से बात हो जाया करती थी। अपने ब्लॉगर में तहरीर करते हुए दिलीप कुमार ने कहा कि नासाज़ी मिज़ाज की वजह से उन्हें सफ़र करने की इजाज़त नहीं थी, जिस की वजह से वो हालिया दिनों में हिंदूस्तान का दौरा भी नहीं कर सके।

मेंहदी हसन की आवाज़ के जादू को अलफ़ाज़ में ब्यान नहीं किया जा सकता। इन की ग़ज़लों से क़्या अमीर या ग़रीब , क्या आलिम क्या जाहिल सब यकसाँ तौर पर महज़ूज़ होते थे चाहे वो फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की ग़ज़लें या मिर्ज़ा ग़ालिब की। वो जब भी मुंबई आते थे तो हमारे मकान पर ज़रूर तशरीफ़ लाते थे। एक बार तो वो शदीद बुख़ार की हालत में हम से मुलाक़ात करने के लिए आए थे