हैदराबाद 10 सितम्बर:रुकने असेंबली अकबरुद्दीन ओवैसी चौथे दिन भी अदालत में हाज़िर हुए और उन पर वकील दिफ़ा ने जरह किया। अकबर ओवैसी ने जरह में किए गए सवालात का जवाब देते हुए बताया कि उन्होंने हमले के दौरान हमला-आवर के हाथ पकड़ लिए थे।
उन्हें बाद में इस बात का इलम हुआ कि हमले के दौरान एक शख़्स फ़ौत हो गया। रुकने असेंबली ने बताया कि वो इबराहीम याफ़ई को नहीं जानते लेकिन उनके चेहरे को देखने पर शिनाख़्त कर सकते हैं। वो इस शख़्स का नाम नहीं बता सकते जिसने उन पर चाक़ू से हमला किया था जिसके नतीजे में वो जीपसी गाड़ी से ज़मीन पर गिर पड़े।
अकबर ओवैसी ने इबराहीम याफ़ई के जिस्म पर लगे मुख़्तलिफ़ ज़ख़मों के निशान से लाइलमी का इज़हार किया जबकि वकील दिफ़ा एडवोकेट जी गुरु मूर्ती ने उन्हें वाज़िह तौर पर मुतवफ़्फ़ी के पेट, सीने और पेट पर मुख़्तलिफ़ ज़ख़मों के निशानात से मुताल्लिक़ सवालात किया था। अकबर ओवैसी ने पुलिस स्टेशन में उनके और मंसूर ओलक़ी , अहमद बलाला , महमूद ओलक़ी , मुहसिन बिन अहमद अलकसीरी , गनमैन जानी मियां और दुसरे 50 मजलिसी कारकुनों के ख़िलाफ़ दर्ज किए गए मुक़द्दमा जिसका क्राईम नंबर 313/2012 है जो ताज़ीरात-ए-हिंद के दफ़आत 147, 148, 302, 326, 506, 149, 120(B) और सेक्शन 27(1) इंडियन आर्म्स एक्ट से लाइलमी का इज़हार किया।
अकबर ओवैसी ने कमिशनर पुलिस हैदराबाद की तरफ से जारी किए गए एक मेमो जिसमें ऊद बिन यूनुस याफ़ई की तरफ से 4 सितम्बर 2012 को दर्ज की गई शिकायत और इस सिलसिले में आंध्र प्रदेश हाइकोर्ट के पब्लिक प्रासीक्यूटर से क़ानूनी राय हासिल किए जाने से भी लाइलमी का इज़हार किया।
रुकने असेंबली ने वकील दिफ़ा को बताया कि वो और उनके बड़े भाई असद ओवैसी और मजलिस पार्टी के सरबराह भी हैं। 30 अप्रैल 2011 से 7 अक्टूबर 2012 तक उनके ख़िलाफ़ मुक़द्दमा दर्ज ना करने के लिए असर-अंदाज़ किया।
अकबर ओवैसी कारतूस ख़रीदने पर जारी की गई रसीद अभी मौजूद नहीं है। उन्होंने पुलिस को तमाम दस्तावेज़ात की नक़ल पुलिस के हवाले की। इस मुक़द्दमे की रोज़ाना की असास पर जारी की समाअत को सातवें एडिशनल मेट्रोपोलिटिन सेशन जज ने मुल्तवी करदिया।