पटना के मेयर अफजल इमाम, मेयर के ओहदे पर रहने लायक नहीं हैं। मुंसिपल कॉर्पोरेशन की मजबूत मुस्तकिल कमेटी उनके इशारे पर काम करती है। जिस हुक्म पर रियासती हुकूमत ने रोक लगा रखी है, कमेटी उसे कॉर्पोरेशन के कमिश्नर से लागू कराना चाहती है।
यह तबसीरह पटना हाईकोर्ट ने मेयर के खिलाफ की है। अदालत ने कहा कि कमीशन कानून के तहत काम करते रहें। वे अदालत की तरफ से तय वक़्त की हद के अंदर जेरे समाअत मुकदमों पर हुक्म मंजूर करें। जिन इमारतों की मापी नहीं हुई है, उनका काम पूरा करें। जो इमारत कानून और मंजूर नक्शे के मुताबिक नहीं बना है, उसे तोड़ें। मामले में अगली सुनवाई अब सात अगस्त को होगी।
जस्टिस वीएन सिन्हा और जस्टिस पीके झा की खंडपीठ नगर पार्षद आभालता और दीगर की पीआईएल पर सुनवाई कर रही थी। उनके वकील ने अदालत को बताया कि कमीशन मजबूत मुस्तकिल कमेटी के फैसले को लागू नहीं कर रहे हैं। इसकी शिकायत हुकूमत से की गई है, मगर अभी तक इस पर कार्रवाई नहीं हुई है।
मुस्तकिल कमेटी एजेंडे के तहत काम करती है, लेकिन कमिशनर इसे नजरअंदाज करते हैं। वहीं, कॉर्पोरेशन के वकील ने कहा कि मेयर ने एक दबंग एमएलए के साथ मिलकर इमारत की मापी का काम रुकवा दिया। कमीशन को काम करने से रोका जाता है।
अदालत ने दलील पर कहा कि अगर कमीशन काम करने वाले अफसर नहीं हैं, तो उन्हें हटाने की तजवीज क्यों नहीं पारित कराया गया। तमाम पार्षद कमिश्नर से नाखुश नहीं हैं। सिर्फ एक ग्रुप कमिश्नर से नाराज चल रहा है। अदालत ने कहा कि मुस्तकिल कमेटी ऐसे-ऐसे फैसले ले रही है, जिस पर अमल करना कमिश्नर के लिए मुमकिन नहीं है।
कमेटी ने तीन साल के लिए किए गए सैरात बंदोबस्ती को बदलकर एक साल का कर दिया। अब अगर कमीशन इस फैसले को लागू करते हैं, तो मुकदमों का अंबार लगना ही है। अदालत ने कमेटी के फैसले पर अमल करने के लिए इजाफ़ी कमिश्नर के जिम्मे काम सौंपने की हिदायत दिया।