मेयारी शादी के नाम पर फुज़ूल खर्ची अफ़सोसनाक अमल

शादनगर 05 डसमबर (सियासत डिस्ट्रिक्ट न्यूज़ ) अल्लाह ताला ने मुस्लमानों को अपनी और अपने नफ़स की इस्लाह करने केलिए क़ुरआन मजीद जैसी बेहतरीन किताब को नाज़िल किया रसूल ल्लाहो सल्लाहो अलैहे अलैहि वसल्लम की सीरत, सहाबा किराम ,औलिया-ए-इज़ाम, बुज़्रगान-ए-दीन – के बेहतरीन अमली ज़िंदगीयां हमारे दरमयान मुख़्तलिफ़ अंदाज़ में मौजूद रहने के बावजूद हम मुस्लमान जाने और अनजाने में मुख़्तलिफ़ गुनाहों में मुबतला होरहे हैं हर एक मुस्लमान को सब से पहले अपने नफ़स की इस्लाह करने की ज़रूरत है ।

ये बात मौलाना मुफ़्ती मुहम्मद क़ासिम तसख़ीर नायब मुफ़्ती जामिआ निज़ामीया बहैसीयत मेहमान ख़ुसूसी तंज़ीम इस्लाह मिल्लत शादनगर के ज़ेर-ए-एहतिमाम लोहीअ फंक्शन हाल शादनगर मैं मुनाक़िदा जलसा इस्लाह मुआशरा से मुख़ातब करते हुए कहीं । उन्हों ने क़ुरआन और हदीस की रोशनी में अपनी ज़िंदगीयों को गुज़राने पर ज़ोर दिया। निकाह को इतना आसान करें कि ज़ना के मुताल्लिक़ लोगों में दूर दूर तक सोनच भी ना आए , नकाज को अनबया-ए-किराम सहाबा किराम और औलिया-ए-अल्लाह के तरीक़ा पर अदा करने की तलक़ीन की ।

निकाह के नाम पर कई एक नाजायज़ और ग़लत रसूम में मुबतला होते हुए फुज़ूलखर्ची का अमल भी होरहा है और मयारी शादी के नाम पर लड़की के ख़ानदान पर माली बोझ डाला जा रहा है जिस की वजह से लड़की का ख़ानदान कई एक मसाइल-ओ-मसाइब का शिकार हो रहे हैं और क़र्ज़ के इलावा सूद जैसी बड़ी लानत में मुबतला होरहे हैं ।

फुज़ूलखर्ची करनेवाले अस्हाब को आख़िरत में इस का हिसाब देना है। उन्हों ने कहा कि दुनिया में सब से ज़्यादा फैलने वाले अमल ज़ना को ख़तन करने केलिए हर एक को आगे आने की ज़रूरत है । मुस्लमानों को बेहतरीन ज़िंदगी गुज़ारने केलिए क़ुरआन मजीद हुज़ूर सरकार दो आलम सिल्ली अल्लाह अलैहि वसल्लम की अमली ज़िंदगी और सीरत तुय्यबा मौजूद है । बुरे कामों से इजतिनाब वक़्त की अहम ज़रूरत है । मयारी शादी और फुज़ूलखर्ची की वजह से कई एक लड़कीयां शादी ना होने की वजह से परेशान हैं और साथ ही साथ वालदैन भी कई एक मसाइल का शिकार होरहे हैं एक बेहतरीन और आसान सुन्नत को पूरा करने केलिए कई एक ग़लत और नाजायज़ और ग़ैर इस्लामी अमल को अपना रहे हैं ।

आज मुस्लमान कई एक मसाइल का शिकार होरहा है और कई एक वजूहात की बुनियाद पर कई एक लड़कीयों की शादियां नहीं हो पा रही हैं अपनी ख़ाहिशात को दूसरों पर मुसल्लत करने के बजाय अपने अंदर ख़ुद एतिमादी पैदा करें । मौलाना हाफ़िज़ सय्यद रूफ अली कादरी कामिल जामिआ निज़ामीया ने मुख़ातब करते हुए कहा कि मुस्लमान की ज़िंदगी के मुख़्तलिफ़ हिस्सा में इस्लाह की ज़रूरत है । सब से पहले मोमिन मुस्लमान अपने नफ़स की इस्लाह करें , निकाह को आसान बनाने केलिए अनबया-ए-किराम और सहाबा किराम की सीरत और तरीक़ों पर अमल करें । जहेज़ की लानत और फुज़ूलखर्ची की वजह से कई एक लड़कीयों की उम्र शादी की हद को पार कररही है ।

मुस्लमान का हर एक अमल दूसरों केलिए सबक़ आमोज़ होना चाहीए नफ़स को कंट्रोल करने और बुराई रोकने केलिए हर एक मुस्लमान अह्द करें और अल्लाह ताली के बताए हुए तरीक़ों पर चलें । चंद लम्हों की ख़ाहिशात को पूरा करने केलिए दूसरों यानी लड़की वालों पर अपनी ख़ाहिशात को मुसल्लत करते हैं ।

ख़ाहिशात की अदम तकमील पर रिश्ता तोड़ दिए जाते हैं । मौलाना हाफ़िज़ मुहम्मद ताहिर क़ासिमी बानी दार-उल-उलूम सबील अलहदी लगना रेड्डी गौड़ा शादनगर ने ख़िताब करते हुए क़ुरआन और हदीस की रोशनी में निकाह के अमल को अंजाम देने पर ज़ोर दिया । मुस्लमान अपनी अमली ज़िंदगी में तबदीली लाते हुए अपनी नफ़स की इस्लाह करें।

आज के इस दौर में शादी के नाम के साथ ही कई एक नाजायज़ और ग़लत रसूमात होरहे हैं और बेपर्दगी भी होरही है । कभी जहेज़ के नाम पर कभी कपड़ों के नाम पर कभी खाना खिलाने के नाम पर कभी बेहतरीन शादी ख़ाने में शादी करने के नाम पर लड़कीयों के रिश्ता टूट जा रहे हैं ।

इस के ज़िम्मेदार कौन हैं अगर रिश्ता तए भी होजाएं तो बाद में लड़की को कई एक तकलीफ़ दी जाती हैं। ग़यूर मुस्लमान अपनी सोच में तबदीली ववब लाएंगे रसूल अकरम सिल्ली अल्लाह अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया । सब से बेहतरीन निकाह वो है जिस में कम ख़र्च हो कलबी ख़ाहिशात को इस्लामी हद के अंदर करें । हराम से इजतिनाब करें नमाज़ों की पाबंदी करें० जलसा इस्लाह मुआशरा की सदारत क़ाज़ी सय्यद मुक़तदिर अली सदर क़ाज़ी शादनगर ने की । हाफ़िज़ मुहम्मद इसहाक़ ख़तीब जामि मस्जिद ने निज़ामत अंजाम दिए । मौलाना क़ासिम सिद्दीक़ी तसख़ीर नायब मुफ़्ती जामिआ निज़ामीया ने दुआ की.