मेरठ के मेयर का तुग़लकी फरमान, भारत में रहना होगा तो वंदे मारतम् कहना होगा

भाजपा नेता और मेरठ के मेयर हरिकांत अहलूवालिया ने नगर निगम बोर्ड के सभी पार्षदों को राष्ट्रगीत वंदे मारतम् गाने का फरमान जारी किया है। अपने निर्देश में अहलूवालिया ने कहा है कि जो कोई भी बंदे मारतम् नहीं गाएगा उसे बोर्ड मीटिंग रूम में घुसने या मीटिंग में हिस्सा लेने की अनुमति नहीं दी जाएगी। हालांकि नगर निगम बोर्ड में कुछ मुस्लिम पार्षदों ने अहलूवालिया के इस फरमान का का विरोध किया और सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश का हवाला देते हुए कहा गया है कि वंदे मारतम् गाना अनिवार्य नहीं है।

आहलूवालिया का कहना है कि वंदे मारतम् अपनी मातृभूमि के प्रति सम्मान जताने का एक तरीका है। जब निगम में मुस्लिम मेयर रहे थे तब भी वंदे मारतम् गाया जाता था तब इसमें विवाद कैसा है। उल्लेखनीय है कि नगर निगम बोर्ड कुल सदस्यों की संख्या 80 हैं। उसमें से 45 भाजपा और 25 मुस्लिम हैं।

वहीं दूसरी तरफ नगर निगम के एक मुस्लिम काउंसलर ने बताया कि माहौल काफी गरमा गया है। ऐसे में यहां से निकल जाना ही बेहतर होगा। हमें काफी बुरा लगा है। हमारे भी पूर्वजों ने देश की आजादी में सहयोग किया था लेकिन इस तरह का बर्ताव ठीक नहीं है।

बता दें कि मंगलवार को सात नगर सेवकों को मीटिंग रखी गई थी जिसमें अहलूवालिया ने सिर्फ इसलिए इंकार कर दिया था क्योंकि कुछ कर्मचारियों ने वंदे मारतम् कहने से इंकार कर दिया था। दरअसल, उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार आने के बाद मगलवार को नगर निगम बोर्ड में एक मीटिंग रखी गई थी।

द टाइम्स ऑफ इंडिया अखबार ने मुताबित, इससे पहले भी निगम में वंदे मारतम् का गायन होता आ रहा है। लेकिन पहले किसी को भी इसमें हिस्सा लेने के लिए बाध्यता नहीं थी। पहले इस बात की छूट थी कि जिसे उसमें हिस्सा नहीं लेना होता था वह बाहर चला जाता था और बाद में फिर वह वापस आ जाता था।

मंगलवार को जब मीटिंग शुरू हुई तो कुछ मुस्लिम नगरपालिका सलाहकार हॉल से बाहर जाने लगे इसके बाद भाजपा सदस्यों ने उनके खिलाफ नारेबाजी करनी शुरू कर दी। मीटिंग हॉल में नारा लगने लगा कि हिंदुस्तान में रहना होगा तो वंदे मारतम् कहना होगा।

नारेबाजी के बाद मामला इतना गरमा गया इस पर मेयर को खुद हस्तक्षेप करना पड़ा। इसके बाद मेयर हरिकांत अहलूवालिया ने ध्वनिमत से फरमार जारी किया कि वंदे मारतम् को गाना सभी सदस्यों पर अनिवार्य होगा। हालांकि इस प्रस्ताव को लागू करने के लिए सरकार की तरफ से मंजूरी लेनी अभी बाकी है।