दिल्ली के साबिक वज़ीर ए आला और “आप” के चीफ अरविन्द केजरीवाल मुल्क में फिर्कापरस्ती का माहौल गरमाने की कोशिश कर रहे है। केजरीवाल ने अचानक राम को याद किया और अपनी नानी के बहाने कहा कि, “मेरा राम किसी की मस्जिद तोड़कर बनाये मंदिर में नहीं बस सकता।” सोशल मीडिया पर आम आदमी पार्टी के फेसबुक के पेज पर यह पोस्ट की गई है।
उनकी यह बात मुल्क में सियासी माहौल में अचानक ज़ाहिर होना अफसोसनाक और हैरतअंगेज़ है जबकि मुल्क में बात तरक्की की हो रही है, मंहगाई की हो रही है, करप्शन की हो रही तो फिर यह मंदिर-मस्जिद मुद्दा अचानक क्यों आ गया। क्या अरविन्द केजरीवाल मुस्लिम वोटर्स को मुतावज्जा करने के लिए अपनी नानी की बात के बहाने मंदिर-मस्जिद मुद्दा फिर से जिंदा करना चाहते है ? उन्होंने कहा कि “मेरा राम. …” , तो केजरीवाल साहब राम सिर्फ “आप” का नहीं है बल्कि हम सबका है। इस वक्त केजरीवाल की यह बात कहीं मुल्क में फिर से फिर्कापरस्ती का माहौल न गरमा दें।
अरविन्द केजरीवाल और उनकी पार्टी इस वक्त वह सब कुछ करने के लिए तैयार है जिससे उसे मुसलमानों का सबसे बड़ा हमदर्द मान लिया जाए। इसके लिए वह मंदिर-मस्जिद मुद्दे को फिर से ज़िंदा करने के लिए तैयार है।
अरविन्द केजरीवाल की नानी ने जो बात कही थी वह मुम्किना तौर पर मज़हबी थी लेकिन अरविन्द केजरीवाल की इस बात के पीछे मज़हब नहीं सियासत है। केजरीवाल जो कह रहे हैं उसका एक ही मकसद नज़र आता है, सियासी फायदे के लिए राम मंदिर के मुद्दे को एक बार फिर गरमाना। केजरीवाल को शायद इसका एहसास भी नहीं है कि मुल्क का वोटर इस वक्त मज़हब की सियासत नहीं बल्कि बेहतरीन हुकूमत की बातें सुनना चाहता है।
———बशुक्रिया: http://www.pressnote.in/khaskhabar_224423.html#.UxaS1M4WHFx