श्रीनगर, 18 फ़रवरी: दिल्ली के तिहाड़ जेल में फांसी के तख्ते पर चढ़ने से एक घंटा पहले अफ़ज़ल गुरु ने अपने अहले ख़ाना को तहरीर करदा मकतूब में जुराअत मंदाना और अपने फ़ख़्रिया मौक़िफ़ का इज़हार किया है। उन्होंने सज़ाए मौत पाने को अल्लाह की मर्ज़ी से ताबीर किया। पार्लियामेंट पर हमले के केस में माख़ूज़ अफ़ज़ल गुरु को 9 फ़रवरी सुबह तक़रीबन 7 और 8 बजे के दरमियान फांसी दी गई।
अफ़ज़ल गुरु की अहलिया तबस्सुम ने अहले ख़ाना को लिखे गए मकतूब की एक नक़ल मीडिया के हवाले की। उन्हें अपने शौहर के हाथ से लिखी हुई तहरीर गुज़िशता हफ़्ते मिली थी लेकिन, उन्होंने इस मकतूब को आज चंद मीडिया के नुमाइंदों के हवाले किया। 9 फ़रवरी सुबह 6 बजकर 25 मिनट को तहरीर करदा इस मकतूब से अफ़ज़ल गुरु के जज़बा-ए-ईमानी और रूह की पाकीज़गी के साथ जुराअत मंदी का इज़हार होता है।
उन्होंने अपने अहले ख़ाना और अहले ईमान को मुबारकबाद दी कि अल्लाह तआला ने हम सब को सच्चाई और हक़ पर चलने की तौफ़ीक़ अता की है। हमारी आख़िरत का इख़तेताम हक़ और सच्चाई पर हो इस से बढ़ कर क्या चीज़ है। अहले ख़ाना को मेरी तरफ़ से गुज़ारिश हैकि मेरे इस इख़तेताम पर अफ़सोस के बजाय वो इस मुक़ाम का एहतेराम करें।
अफ़ज़ल गुरु ने अपने ख़त का इख़तेताम इन अलफ़ाज़ से किया अल्लाह पाक आप सब का हाफ़िज़ो नासिर। अल्लाह हाफ़िज़। इस मकतूब को तिहाड़ जेल के सूपरनटेन्डन्ट ने एक अंग्रेज़ी में नोट लिख कर अफ़ज़ल गुरु की अहलिया को रवाना किया। जेल के ओहदेदार ने अफ़ज़ल गुरु की अहलिया तबस्सुम को नोट लिखते हुए कहा कि अफ़ज़ल गुरु ने 9 फ़रवरी को अपनी फांसी से पहले ये ख़त लिखा है।
अफ़ज़ल गुरु को जब जेल हुक्काम ने सुबह इत्तेला दी गई कि उन्हें आज फांसी दी जारही है तो उन्होंने अलहमदु लिल्लाह कहा, और एक काग़ज़ और क़लम देने की दरख़ास्त की, ताकि वो अपनी अहलिया को मकतूब लिख सकें। इस के बाद उन्होंने ख़ुशू-ओ-ख़ुज़ू के साथ नमाज़ अदा की, ताहम जेल हुक्काम ने उन की फांसी के दो दिन बाद इस मकतूब को डाक के ज़रीये रवाना किया।
26 घंटों के बाद ये मकतूब कर्फ्यू के बावजूद कश्मीर में सोपूर टाउन में उन की अहलिया तबस्सुम के हवाले किया गया। उर्दू में तहरीर करदा 10 लाएन मकतूब में उन्होंने अल्लाह तआला का तशक्कुर बजा लाने के साथ अहले ख़ाना और अहले ईमान को हक़ और सच्चाई की राह पर चलने की तलक़ीन की।