मेरी हुकूमत को फ़ौज या अदलिया से ख़तरा नहीं: गिलानी

ईस्लामाबाद‍ ०३ दिसम्बर (पी टी आई) वज़ीर-ए-आज़म पाकिस्तान यूसुफ़ रज़ा गिलानी ने अपनी हुकूमत को ख़तरा होने के इमकान को मुस्तर्द करदिया।

पाकिस्तानी हुकूमत की जानिब से अमरीका को रवाना करदा खु़फ़ीया मेमो पर पैदा शूदा तनाज़ा के दरमयान जमहूरी हुकूमत को बेदख़ल करके इक़तिदार पर फ़ौज के क़बज़ा के इमकान पर उन्हों ने कहा कि जमहूरी हुकूमत को अदलिया या फ़ौजी बग़ावत का ख़तरा नहीं है।

ये दो अहम इदारे एक जमहूरी निज़ाम को दिरहम ब्रहम करना नहीं चाहती। यूसुफ़ रज़ा गिलानी ने ये रेमार्क पाकिस्तानी टी वी पर मुनाक़िदा प्रोग्राम वज़ीर-ए-आज़म ऑनलाईन में हिस्सा लेते हुए किया और कहा कि फ़ौज या अदलिया एक जमहूरी हुकूमत को बेदख़ल करना नहीं चाहती।

वो इन सवालात का जवाब दे रहे थे कि एक तरफ़ पाकिस्तान पीपल्ज़ पार्टी ज़ेर क़ियादत सीवीलीन हुकूमत और दूसरी तरफ़ अदलिया-ओ-फ़ौज के दरमयान इमकानी ख़लीज पैदा हो रही है। गिलानी का इस्तिदलाल था कि हुकूमत, फ़ौज और आई ऐस आई एस मुतनाज़ा खु़फ़ीया मेमो के मसला पर एक ही सफ़ में खड़े हैं।

2 मई को ऐबट आबाद में अमरीकी फ़ौज की जानिब से अलक़ायदा सरबराह उसामा बिन लादन की हलाकत के पेशे नज़र में अमरीकी फ़ौज से मदद तलब करने और एक मकतूब रवाना करने के मसला पर ये तनाज़ा पैदा हुआ है।

वज़ीर-ए-आज़म सय्यद यूसुफ़ रज़ा गिलानी ने कहाहै कि इन की हुकूमत के ख़िलाफ़ साज़िशें होती रहीं लेकिन जमहूरी तरीक़े से इस को ग़ैर मुस्तहकम नहीं किया जा सका,उन का कहनाहै कि इस तरह की हरकतें करने वाले सैनेट के इंतिख़ाबात का इलतिवा चाहते हैं,वज़ीर-ए-आज़म ने आर्मी चीफ़ के नीटो तर्ज़ के हमलों का फ़ौरी जवाब देने के ब्यान की हिमायत करदी।

ईस्लामाबाद में एक तक़रीब के बाद मीडीया से बातचीत करते हुए नीटो हमले के ईशू पर जवाबी कार्रवाई से मुताल्लिक़ वज़ीर-ए-आज़म से सहाफ़ीयों के तुंद सवालात का सामना करना पड़ा,एक सहाफ़ी ने पूछा कि आर्मी चीफ़ के जवाब से किया हम तसादुम की तरफ़ नहीं जा रही, वज़ीर-ए-आज़म ने कहाकि इन का ख़्याल है कि ये इक़दाम उठाकर हम अपनी ज़िम्मेदारी पूरा कररहे हैं, वज़ीर-ए-आज़म गिलानी का कहना थाकि हुकूमत के ख़िलाफ़ साज़िशें होती रही हैं लेकिन उसे जमहूरी अंदाज़ में कोई ग़ैर मुस्तहकम नहीं करसका,इन का कहना था कि जमहूरी हुकूमत का बरक़रार रहना साबित करता है कि यहां पारलीमानी निज़ाम मज़बूत हो चुका है, वज़ीर-ए-आज़म गिलानी ने कहाकि हुकूमत को हटाने के लिए मुख़्तलिफ़ हीले बहाने करने वाले सैनेट इंतिख़ाबात को ताख़ीर का शिकार कराना चाहते हैं, वज़ीर-ए-आज़म ने कहाकि ये निज़ाम आसानी से नहीं बना, बहुत क़ुर्बानियां दी गईं, ये निज़ाम क़ायम रहे गाउन का कहना था कि पहले साज़िशें होती थीं तो लोग पहली साज़िश में ही चले जाते थे।

,मौजूदा हुकूमत इत्तिहादियों से मिल कर बनाई, ये मुक़र्ररा मुद्दत पूरा करेगी, वज़ीर-ए-आज़म ने कहाकि आईंदा भी पूरी क़ौम , मीडीया और सिवल सोसाइटी, मुल्क में जमहूरी निज़ाम को स्पोर्ट करेंगी, वज़ीर-ए-आज़म ने कई सवालात के जवाब नहीं दुई,उन से पूछा गया कि अमरीकी सैनेट ने फ़ौजी इमदाद बंद कर दी है पाकिस्तान का क्या रद्द-ए-अमल होगा वज़ीर-ए-आज़म ने कहाकि मुआमला देख कर जवाब देंगॆ,अदलिया के अहकामात मानने के सवाल पर वज़ीर-ए-आज़म ने कहाकि उन की क़ानूनी टीम जवाब दे चुकी है, अमरीकी हुक्काम की जानिब से बून कान्फ़्रैंस में शिरकत से इनकार को पाकिस्तान के ख़ित्ते की सलामती में अदम दिलचस्पी से ताबीर करने के सवाल पर वज़ीर-ए-आज़म नौ कमनटस कह कर ख़ामोश हो गये।