नई दिल्ली, 23 अप्रैल: ( पी टी आई ) वज़ीर-ए-आज़म मनमोहन सिंह ने आज नौजवान सियोल ओहदेदारों से गुफ़्तगु की और बयान किया कि मुल्क के शहरियों के आँसू पोछने के लिए वो किस तरह अवामी ज़िंदगी में दाख़िल हुए । डाक्टर मनमोहन सिंह ने आज यहां अपनी सरकारी रिहायशगाह पर आई ए एस प्रोबेशनर्स से ग़ैर रस्मी बात चीत के दौरान कहा कि वो एक इंतिहाई मामूली पस-ए-मंज़र से आए हैं।
एक इंतिहाई दूरदराज़ के उस गाँव में पैदा हुए थे जो अब पाकिस्तान का हिस्सा है । डाक्टर मनमोहन सिंह ने नौजवान आफ़िसरान से कहा कि मैंने 12 साल की उम्र तक कभी किसी डाक्टर को नहीं देखा था । वहां सड़कें नहीं थीं। कोई साफ़ पानी नहीं था । पहली मरतबा मुझे एहसास हुआ कि इबतिदाई सतह पर क्या होता है। जिस का मुझ पर हमेशा ही असर रहा ।
उन्होंने बयान किया कि वो किस तरह तालीम हासिल कर पाए और हुकूमत के मुख़्तलिफ़ ओहदों पर ख़िदमत अंजाम दे सके और अक़वाम-ए-मुत्तहिदा के लिए भी काम किया। जहां से वापसी के बाद बहैसियत वज़ीर फायनेंस हकूमत-ए-हिन्द की ख़िदमत अंजाम दे चुके हैं और अब वज़ीर-ए-आज़म हैं।