मैं आज भी कहानियां लिख सकता हूँ : सलीम ख़ान

सलीम ख़ान जिस वक़्त फ़िल्मी दुनिया में नए नए वारिद हुए थे तो उनका मक़सद हीरो बनना था लेकिन प्रिंस सलीम के नाम से फ़िल्मी दुनिया में आने वाले सलीम की ज़्यादा पज़ीराई (मंजूरी) नहीं हुई और उन्होंने शम्मी कपूर की फ़िल्म प्रोफेसर , तीसरी मंज़िल और एक बी क्लास फ़िल्म सरहदी लुटेरा में काम किया।

लेकिन जावेद अख्तर के साथ सलीम । जावेद की जोड़ी बनाने के बाद कामयाबी ने उनके क़दम चूमे और फ़िल्मी तारीख़ में राइटर्स ( लेखक) के नाम पर फिल्में बिकने का जो सिलसिला शुरू हुआ उसे सलीम । जावेद ने ही शुरू किया था। यके बाद दीगरे ( एक के बाद दूसरी) लगातार हिट फिल्में देने के बाद सलीम -जावेद में अलैहदगी हो गई।

सलीम ने भी लिखने लिखाने का सिलसिला तर्क कर ( छोड़) दिया। इनका कहना है कि कहानियां तो वो आज भी लिख सकते हैं लेकिन इन कहानीयों पर काम करने वाला डायरेक्टर (निर्देशक) भी इंतिहाई(ज़्यादा)बासलाहीयत होना चाहीए।