मैं इस मुल्क का जायज़ सदर हूँ, आप कौन हैं?…

मिस्र के माज़ूल सदर मुहम्मद मुर्सी को 2011 के दौरान जेल तोड़ कर फ़रार होने के एक मुक़द्दमे की समाअत के लिए आज अदालत में पेश किया गया, जहां उन्होंने बदस्तूर बाग़ियाना तेवर इख़तियार किए और इसरार किया कि वो इस मुल्क के जायज़ सदर हैं।

मुर्सी को उनकी ग़लत हुक्मरानी के ख़िलाफ़ बड़े पैमाने पर अवामी एहतिजाज के नतीजे में 3 जुलाई को इक़तिदार से माज़ूल किए जाने के बाद पुलिस एकेडेमी में उन के ख़िलाफ़ मुक़द्दमे की आज दूसरी समाअत थी। ताहम आज मुक़द्दमे की समाअत 22 फरवरी तक मुल्तवी करदी गई।

62 साला मुर्सी के ख़िलाफ़ 2012 में सदारती महल के बाहर एहितजाजियों के क़त्ल पर उकसाने से मुताल्लिक़ अलहदा मुक़द्दमात भी दर्ज हैं। उनके ख़िलाफ़ हम्मास और हिज़्बुल्लाह जैसे बैरूनी दहश्तगर्द ग्रुपों की हौसलाअफ़्ज़ाई की साज़िश में मुलव्वस होने और अदलिया की तौहीन करने के इल्ज़ामात के तहत मुक़द्दमात हैं। अगर किसी एक मुक़द्दमा में भी वो जुर्म के मुर्तक़िब पाए जाते हैं तो उन्हें सज़ाए मौत हो सकती है। मुक़द्दमे के आग़ाज़ के साथ ही मुर्सी ने चीख़ पुकार शुरू करदी और कहा कि में इस जम्हूरिया का सदर हूँ और मुझे किस तरह कई हफ़्तों तक अंदर डाल डाला जा सकता है।मुर्सी ने जज पर चिल्लाते हुए कहा कि आप कौन हैं? जिस पर जज ने सिर्फ़ ये कहा कि में इस फ़ौजदारी अदालत का सरबराह हूँ।

मुर्सी और उन के दीगर 11 इस्लाम पसंद रफ़क़ा के ख़िलाफ़ इन इल्ज़ामात के तहत मुक़द्दमात चलाए जा रहे हैं जिन्हें समाअत के दौरान एक ऐसी जगह रखा गया था जहां आवाज़ नहीं पहूंच सकती थी। ये इस लिए किया गया क्योंकि इन मुल्ज़िमीन ने गुज़श्ता साल अदालत में अपनी पहली पेशी के दौरान बार बार शोर-ओ-गुल और हंगामा आराई की थी। माबाकी मुल्ज़िमीन में तक़रीबन 70 फ़लस्तीनी भी शामिल हैं, जो मफ़रूर बताए गए हैं और उनके ख़िलाफ़ ग़ियाब में मुक़द्दमा चलाया जा रहा है।

माज़ूल सदर ने अदालत से कहा कि वो कोई क़ैदी नहीं हैं बल्कि सयासी क़ैदी हैं, इसके बावजूद उन्हें कल 7 बजे शाम अदालत के क़रीब लाया गया। मुर्सीने अदालत से कहा कि मैं इस मुल्क का एक जायज़ सदर हूँ, ये मुक़द्दमा क़ानूनी नहीं है। दीगर क़ैदी भी फ़ौजी हुकूमत के ख़िलाफ़ नारे लगा रहे थे। टी वी फूटेज में दिखाया गया कि मुहम्मद मुरसी क़ैदियों के लिए मख़सूस सफ़ेद लिबास में मलबूस थे और अदालत के चौथे गोशे में बैठे परेशानी के साथ इधर उधर देख रहे थे।