हैदराबाद, 8 जनवरी: (सियासत न्यूज़) स्टेज पर दहाड़ने वाले अदालत में मनमनाने लगे। चीफ मिनिस्टर गुजरात को हैदराबाद में अपना ज़ोर दिखाने का चैलेंज करने वाले और पोलीस के हटाने पर सिर्फ़ 15 मिनट में 25 करोड़ मुस्लमानों के
100 करोड़ हन्दुओं पर भारी पड़ जाने का दावा करने वाले मजलिसी रुकन असैंबली अकबरुद्दीन ओवैसी पोलीस कार्यवाईयों से बचने अदालत अल आलिया से रुजू होगए और दस्तूरी हक़ और क़ानून की हुक्मरानी की दहाई देते हुए उन्हें हिरासाँ किए जाने से पोलीस मिशनरी को बाज़ रखने की इल्तिजा की है।
रियासत के मुख़्तलिफ़ मुक़ामात पर दर्ज मुक़द्दमात से छुटकारा पाने के लिए लंदन से वापसी के फ़ौरी बाद अकबरुद्दीन ओवैसी ने आज आंधरा प्रदेश हाईकोर्ट में रिट दरख़ास्त दायर करते हुए अदालत से इल्तिजा की कि प्रिन्सिपल सैक्रेटरी महिकमा दाख़िला और डायरैक्टर जनरल आफ़ पोलीस को निर्मल और निज़ामाबाद में की गई उन की तक़ारीर पर मज़ीद केस दर्ज ना करने रियासत के पोलीस स्टेशनों को अहकाम जारी किए जाएं।
हाईकोर्ट के तातेलाती बेंच के जज जस्टिस अल नरसिम्हा रेड्डी ने रुकन असैंबली की दरख़ास्त पर दो दिन बाद समाअत करने का फैसला किया। अकबर ओवैसी की तरफ़ से सी रामचंद्रा राजू ने हलफ़नामा दाख़िल किया। इस मौक़े पर अदालत अल आलिया में अकबर ओवैसी के भाई रुकन पार्ल्यमेट असदुद्दीन ओवैसी मौजूद थे। उन्होंने निर्मल और निज़ामाबाद में की गई तक़ारीर पर मुख़्तलिफ़ पोलीस स्टेशनों में दर्ज मुक़द्दमात का हवाला देते हुए इस्तिदलाल पेश किया कि दस्तूर के आर्टीकल 202 के तहत एक ही जुर्म के लिए एक से ज़ाइद क़ानूनी चाराजोई और सज़ा नहीं देनी चाहीए।
अकबरुद्दीन ओवैसी ने अपने हलफनामा में दस्तूर के आर्टीकल 19 में दी गई आज़ादी की ज़मानत की भी दहाई देते हुए कहा कि उस्मानिया यूनीवर्सिटी कैंपस पोलीस ने सेक्शन 41A के तहत नोटिस दी है। उन्होंने ये बावर करवाने की कोशिश की है कि उन की तक़रीर के कुछ हिस्सों को पेश करते हुए ग़लत तस्वीर पेश की गई और नतीजतन मुख़्तलिफ़ पोलीस स्टेशनों मीनान के ख़िलाफ़ मुतअद्दिद मुक़द्दमात दर्ज करते हुए हिरासाँ किया जा रहा है।
उन्होंने अपने हलफनामे में मुक़द्दमात के इंदिराज और उन की नवीत के क़ानूनी पहलों से निमटते हुए क़ानूनी राहत पाने की कोशिश की है । ताहम अपनी तक़ारीर में इन नकात के बारे में कोई तज़किरा नहीं किया जो इश्तिआल अंगेज़ था। उन्हों ने जहां दस्तूर में अक़ल्लीयतों को दीए गए बुनियादी हुक़ूक़ की दहाई दी वहीं उन्हों ने ये बावर करवाने की भी कोशिश की कि उन की तक़रीर को सहीह पस-ए-मंज़र में नहीं समझा गया। मिस्टर अकबर उद्दीन उवैसी ने ये भी कहा कि वो और उन की पार्टी दस्तूर और इस के इक़दार के ताबेदार और पाबंद हैं और तमाम शहरियों के हुक़ूक़ की दस्तूरी-ओ-जमहूरी अंदाज़ में हुसूलयाबी केलिए कोशां हैं। हलफनामा में कहीं भी अपनी तक़रीर के मवाद के बारे में कुछ भी नहीं कहा गया। आज रिट दरख़ास्त दाख़िल करने के मौक़ा पर कई मजलिसी कारकुन हाईकोर्ट में देखे गए।