बच्चू काडु महाराष्ट्र के अचलापुर (अमरावती) से आज़ाद एमएलए हैं. वह सिस्टम पर वार करने के लिए नायाब तरीकों को अपनाते हैं. जब कोई सरकारी मुलाजिम काम करने में टालमटोल करता है तो ऑफिस में सांप छोड़ देते हैं. फिल्म ‘शोले’ स्टाइल में बच्चू पानी टैंक पर चढ़ जाते हैं. इस विधानसभा हल्के में बच्चू के तरीकों को लोग भी अपनाते हैं.
बच्चू की पहचान माज़ूरों के लिए मसावात की लड़ाई लड़ने वाले से भी है. 20 फरवरी को 44 साल के बच्चू ने संत जॉर्ज हॉस्पिटल में ब्लड डोनेशन कैम्प मुनाकिद किया था. इस कैम्प में 600 माज़ूर पहुंचे थे. बच्चू अब तक 83 बार ब्लड डोनेट कर चुके हैं.
जब बच्चू से पूछा गया कि आप एमएलए हैं लेकिन आप ही अक्सर कानून को हाथ में लेते हैं, इस पर बच्चू का कहना है कि जब आम आदमी को सरकारी आफीसर परेशान करेंगे तो मैं चुप नहीं रह सकता. उन्होंने कहा, ‘ऐसे वक्त में कानून को तोड़ना जरूरी हो जाता है. जब हम ऐसा करते हैं तो सभी को लगता है कि यह आम आदमी का हक है और सरकारी मुलाज़्मीन को अपनी जॉब ईमानदारी से करनी चाहिए.’
तो क्या बच्चू केजरीवाल बनना चाहते हैं? इस पर बच्चू का कहना है कि वह केजरीवाल के बाप हैं. उन्होंने कहा कि मैं पिछले दो दहा से मुसलसल तख्लीकी तहरीक करते आया हूं. बच्चू ने कहा कि मैं रोड शो कर लोगों का वक्त बर्बाद नहीं करना चाहता. उन्होंने कहा कि इससे लोगों की ताकत बेवजह खत्म होती है.
बच्चू ने कहा कि मैं बहुत मशहूर नहीं हूं क्योंकि दिल्ली में नहीं रहता. वह कहते हैं, ‘दिल्ली में छोटे कामों को भी मीडिया तवज्जो देता है. बच्चू ने कहा कि मैं अनिल कपूर की फिल्म ‘नायक’ से तरगीब लेता हूं. मेरा फंडा साफ है कि पहले गांधीगीरी फिर भगत सिंह. अगर गांधीगीरी से किसी को फर्क नहीं पड़ता तो फिर भगत सिंह बन जाता हूं.’
यह पूछे जाने पर कि वह आजकल तहरीक क्यों कर रहे हैं, बच्चू ने कहा, ‘वह जिस्मानी तौर पर मज़बूर लोगों के हक की लड़ाई लड़ रहे हैं लेकिन सरकार ने इस बारे में कुछ नहीं किया. उन्होंने कहा, ‘हमारी मांग है कि सिविक बॉडी का तीन पर्सेंट फंड माज़ूरों के लिए इस्तेमाल किया जाए, जिनमें माज़ूरों को दी जाने वाली पेंशन में बढ़ोतरी, उनके लिए जॉब और हाउसिंग स्कीम शामिल है.
हम चाहते हैं कि सोशल जस्टिस डिपार्टमेंट के तहत माज़ूरों के लिए एक अलग कमिशन बनाया जाए.’
बच्चू ने बताया कि उन्हें सामाजी इंसाफ के वज़ीर की ओर से यकीन दिलाया गया है कि उनकी सारी मांगें तीन महीने में पूरी कर दी जाएंगी. बच्चू ने कहा, ‘अगर ऐसा होता है तो हम ब्लड डोनेशन के जरिए सीएम के वजन के जितना खून जमा करेंगे और वुजराओं को लड्डू बांटेंगे. अगर हमारी मांगें पूरी नहीं होतीं तो हम वुजराओं के बंगलों के सामने ब्लड डोनेशन कैम्प लगाएंगे.’
बीजेपी या शिवसेना जॉइन करने के सवाल पर बच्चू ने कहा कि उनकी इदारा ‘प्रहार’ ने लोगों की कई तरीकों से मदद दी है. बच्चू ने कहा, ‘हमने तकरीबन 20 हजार लोगों को तिब्बी मदद दिलाई, ज़ात की सर्टिफिकेट दिलाने में भी उनकी मदद की. मेरे इलाके में अभी भी बहुत कुछ किए जाने की जरूरत है. खासतौर पर किसानों के मसले पर, तालीम और हेल्थ के मसले पर. मुझे नहीं लगता कि मैं बीजेपी और शिव सेना के एमएलए से कम काम कर रहा हूं. किसी पार्टी से जुड़कर मैं अपनी आजादी नहीं खोना चाहता.