माज़ूल सदर हसनी मुबारक के आख़िरी वज़ीर-ए-आज़म अहमद शफ़ीक़ ने दावे किया है कि इन के पास वो फ़ौजी और सयासी तजुर्बा है जो मिस्र को एक नए जमहूरी दौर की तरफ़ ले जाने के लिए ज़रूरी है। इस ब्यान के बाद इन के ख़िलाफ़ मुल्क गीर मुज़ाहिरे हुए हैं।
शफ़ीक़ के हामीयों का ख़्याल है कि फ़िज़ाईया के साबिक़ फ़ौजी कमांडर की हैसियत से उन का तजुर्बा 14 माह से जारी हंगामा आराई को फ़िरौ करने में मुआविन साबित हो सकता है।
दूसरी तरफ़ शफ़ीक़ के मुख़ालिफ़ीन का कहना है कि वो हसनी मुबारक के आमिराना दौर की बच्ची कच्छी निशानी को भी बर्दाश्त नहीं करेंगे। शफ़ीक़ ने ख़ुद को सदारती उम्मीदवार के तौर पर पेश किया था लेकिन पिछले हफ़्ते उस वक़्त धक्का लग जब इलेक्शन कमीशन ने उन्हें नाअहल क़रार दे दिया।
इस फ़ैसले से सिर्फ चार दिन क़ब्ल ही कैंसर की बीमारी में मुबतला उन की बीवी का इंतेक़ाल हुआ था। ताहम 48 घंटे के अंदर ही इलेक्शन कमीशन ने क़लाबाज़ी का मुज़ाहरा करते हुए इलेक्शन लड़ने की इजाज़त दे दी जिसके बाद अवाम में ये शुबा पैदा हो गया है कि शफ़ीक़ को फ़ौजी जनरलों की ताईद हासिल है। ख़्याल रहे कि मुल्क में सदारती इंतेख़ाबात 23 24 मई को होंगे।