मैनें जो किया वह कठिन फैसला था- अखिलेश

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और मुलायम सिंह यादव के पुत्र अखिलेश यादव ने रविवार (1 जनवरी) को उठाए गए अपने कदम को सही ठहराया है। सोशल मीडिया पर अखिलेश ने लिखा है कि ‘कभी-कभी आप जिनसे प्यार करते हैं उनको बचाने के लिए आपको सही फैसले लेने होते हैं।’ लिखा है कि आज (रविवार, 1 जनवरी को ) मैंने जो किया वह कठिन फैसला था लेकिन ऐसा करना जरूरी था। गौरतलब है कि रविवार को समाजवादी पार्टी का विशेष अधिवेशन प्रदेश की राजधानी लखनऊ स्थित जनेश्वर मिश्र पार्क में बुलाया गया था।

इस दौरान पार्टी महासचिव रहे रामगोपाल यादव ने अधिवेशन में 4 प्रस्ताव रखे। इन प्रस्तावों में अखिलेश यादव को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया जाए, मुलायम सिंह यादव को पार्टी का सर्वोच्च रहनुमा माना जाए, शिवपाल यादव को यूपी की सपा इकाई के प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाने का प्रस्ताव रखा गया। ये चारों प्रस्ताव सर्वसम्मित से पास कर दिए गए।

हालांकि इस अधिवेशन के शुरू होने से पहले पार्टी नेता मुलायम सिंह यादव ने एक पत्र जारी कर कहा कि यह असंवैधानिक है। इतना ही नहीं राष्ट्रीय अधिवेशन में सपा नेताओं के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को सर्वसम्मति से पार्टी अध्यक्ष मान लेने के बाद सीएम ने नरेश उत्तम को पार्टी के उत्तर प्रदेश इकाई का अध्यक्ष घोषित कर दिया था। इस अधिवेशन के पूरा हो जाने के बाद पार्टी में महासचिव पद पर रहे रामगोपाल यादव को मुलायम सिंह याद ने 6 साल के लिए फिर से निष्कासित कर दिया।

मुलायम ने एक पत्र के जरिए कहा कि इस सम्मेलन में पारित हुए सभी प्रस्ताव व निर्णय अवैध हैं, मैं इन फैसलों की निंदा करता हूं व इसके कर्ता धर्ता प्रोफेसर रामगोपाल यादव को पार्टी से छह वर्ष के लिए निकष्कासित करता हूं।

मुलायम ने रामगोपाल यादव पर आरोप लगाया है कि कुछ लोगों ने अपने कुकृत्यों को छिपाने के लिए वर सीबीआई से बचने के लिए व भाजपा को लाभ पहुंचाने के लिए लगातार मेरा अपमान कर रहे हैं। मेरा हमेशा से ही सांप्रदायिक शक्तियों से लड़ने का इतिहास रहा है। लेकिन इन लोगों ने तथाकथित सम्मेलन बुलाकर साजिश की है।

इसके बाद मुलायम सिंह ने सपा सांसद नरेश अग्रवाल और किरणमय नंदा को पार्टी से निकाल दिया था। मुलायम सिंह ने नरेश अग्रवाल और किरणमय नंदा पर पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाया था।