मोतीयों का शहर हैदराबाद अमलन कचरे के शहर में तबदील

हैदराबाद:शहरे हैदराबाद किसी ज़माने में मोतीयों का शहर कहलाया जाता था और कभी उसे असरी टेक्नोलोजी का मर्कज़ तसव्वुर किया गया लेकिन साबिक़ा हुकूमतों के दौरान मुत्तहदा रियासत आंध्र प्रदेश में जब बर्क़ी की क़िल्लत हुई तो इस रियासत को आंध्र प्रदेश कहा जाने लगा था लेकिन पिछ्ले 4 यौम से जारी ग्हैदराबाद के बलदी अमला की हड़ताल के बाइस ये शहर फ़र्ख़ंदा बुनियाद अब कचरे का शहर में तबदील होचुका है।

दोनों शहरों की सड़कों पर कचरे के अंबार नज़र आने लगे हैं और सड़कों की हालत को देखते हुए एसा महसूस होरहा हैके ये किसी देही इलाके की सड़कें भी नहीं हैं क्युंकि दोनों इलाक़ों में भी अवाम कम अज़ कम अपने घरों के अतराफ़ सफ़ाई को यक़ीनी बनाते हैं।

मोतीयों के शहर का इन हालात में दौरा करने वाले सय्याहों को ये एहसास ज़रूर होगा कि ये शहर मोतीयों का या असरी टेक्नोलोजी का मर्कज़ नहीं होसकता क्युंकि इस शहर में कचरा इस हद तक हैके बदबू-ओ-ताफ़्फ़ुन से ना सिर्फ़ सय्याह बल्कि शहरी भी परेशान हैं कि हुकूमत की तरफ से शहरे हैदराबाद को आलमी मयार के शहरों में तबदील करने के वादे किए जाते हैं।

एक मुक़ाम पर तो चीफ़ मिनिस्टर तेलंगाना के चंद्रशेखर राव‌ ने शहरे हैदराबाद के पुराने शहर के इलाके को इस्तंबोल के तर्ज़ पर तरक़्क़ी देने का एलान किया था लेकिन शहर की मौजूदा हालत इन एलानात के बिलकुल बरअक्स नज़र आरही है।

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