नई दिल्ली, २४ नवंबर: 10 बड़ी मुस्लिम इदारों की ज्वाइंट कमेटी ने मोदी को शर्त की सूरत में ताईद देने की पेशकश की है। ज्वाइंट कमेटी ने कहा है कि अगर गुजरात के वज़ीर ए आला मोदी 2002 के दंगों को लेकर माफी मांग लेते हैं तो वह गुजरात के मुस्लिम वोटरों से उन्हें ताईद देने की अपील कर सकती है।
10 मु्स्लिम इदारों को मिलाकर ज्वाइंट कमेटी आफ मुस्लिम ऑर्गनाइजेशन फॉर इंपॉवरमेंट (JCMOE) का तामीर की गयी है। इसमें जमीयत-उल-उलेमा हिन्द, जमात-ए-इस्लामी हिन्द, ऑल इंडिया मजलिस-ए-मुशावरत, ऑल इंडिया मिली काउंसिल, मूवमेंट फॉर इंपॉवरमेंट ऑफ मुस्लिम इंडियंस, ऑल इंडिया मोमिन कॉन्फ्रेंस, ऑल इंडिया शिया कॉन्फ्रेंस, मरकजी जमीयत-अहले हदीस, इमारत-ए-शरिया और ऑल इंडिया मुस्लिम एजुकेशन सोसायटी शामिल हैं।
ज्वाइंट कमेटी के चेयरमैन सैयद शहाबु्द्दीन ने कहा, मुसलमानों को लेकर मोदी के नजरिए में बदलाव आ रहा है। मोदी और बीजेपी गुजरात असेंबली इलेक्शन में मुसलमानों को खास तवज्जो दे रही है। लेकिन मुल्क और रियासत के मुस्लिम कम्यूनिटी 2002 का दंगे को भूले नहीं है।’ उन्होंने कहा कि Secularism का दावा करने के बजाय मोदी 20 ऐसी नशिस्तो से मुस्लिम उम्मीदवार उतारें जहां मुसलमान वोटरों की तादाद 20% है।
शहाबुद्दीन ने कहा कि आबादी के हिसाब से मुस्लिमों को मोदी ज्यादा नुमाइंदगी दें। गुजरात में मुस्लिमों की आबादी 10% है। उन्होंने कहा कि सिर्फ एक-दो मुस्लिमों को टिकट देने का कोई मतलब नहीं है।
शहाबुद्दीन ने कहा, ‘हम मुस्लिम वोटरों को सलाह देते हैं कि वे अपना वोट बंटने नहीं दें। एक साथ किसी एक को मज़हब और पार्टी से ऊपर उठकर वोट करें। जो तालीम और रोजगार के साथ तरक्की के हर सतह पर हिस्सा तय करेगा, मुसलमान उसी को वोट देंगे।’
उन्होंने कहा कि गुजरात के मुस्लिमों ने पिछले 10 सालों में कम वसाइल में खुद को फिर से संभाला है। यहां के मुस्लिमों ने महसूस किया कि उन्हें कहीं जाने की जरूरत नहीं है बल्कि वह गुजरात में ही रहेंगे और उन्हें उम्मीद है कि तरक्की में उन्हें बराबर की हिस्सेदारी मिलेगी।
शहाबुद्दीन ने 1984 के दंगे की तर्ज पर 2002 में हुए दंगे के मुतास्सिर मुस्लिमों के लिए मुआवजे की मांग की।