मोदी अब दिखाएं 56 इंच का सीना

कश्मीर में हुए 44 जवानों के बलिदान ने देश का दिल दहला दिया है। लोग चाहते हैं कि इस खून का बदला खून से लिया जाए। इतना ही नहीं, आतंकवाद को जड़ से उखाड़ दिया जाए लेकिन इस दुर्घटना को घटे अब 50 घंटे से ज्यादा हो चुके हैं लेकिन हमारी सरकार के प्रवक्ता सिर्फ बातों के गोले उछाल रहे हैं, बैठकें कर रहे हैं और उनकी पूर्व-निश्चित नौटंकियां भी जारी हैं। उनमें कोई फर्क नहीं पड़ा।

आत्म-सम्मोहन का यह दृश्य देखकर मुझे पं. जवाहरलाल नेहरु का वह कथन याद आ रहा है, जो उन्होंने चीनी घुसपैठ और हमले के वक्त दिया था। उन्होंने श्रीलंका जाते समय अपनी फौज को आदेश दे दिया था कि वह चीनी फौज को खदेड़ दे। 1962 में फिर क्या हुआ, यह मुझे आपको बताने की जरुरत नहीं है। लगभग वही मुद्रा कल सभी टीवी चैनलों और आज के हमारे अखबारों में हमें हमारे प्रधानमंत्रीजी की देखने को मिल रही है।

जवानों, तुम्हारा बलिदान बेकार नहीं जाएगा, यह भी कोई कहने का तरीका है ? यदि सरकार यह मानती है कि यह अपराध पाकिस्तान की जैश-ए-मुहम्मद ने किया है तो वह 40 घंटे तक जबानी जमा-खर्च क्यों करती रही ? कल सूर्योदय के पहले ही उसको सबक सिखा देना चाहिए था। अगर मैं मोदी की जगह होता तो इमरान खान को फोन करता और कहता कि आतंकवादियों के शिविरों के पते मैं आपको देता हूं। या तो आप उन्हें सूर्योदय के पहले उड़ा दीजिए। यदि नहीं तो उन्हें हम उड़ा देंगे।

यदि अमेरिका उसामा बिन लादेन को खत्म कर सकता है तो भारत मसूद अजहर को क्यों नहीं कर सकता लेकिन इतना सख्त कदम उठाने के लिए खुद में दम-गुर्दा (56 इंच का सीना) होना चाहिए और पहले से उसकी पूरी तैयारी होनी चाहिए। यह काम तो अब भी हो सकता है। सामरिक दृष्टि से हमारी सरकार का चरित्र लचर-पचर रहा है। इसका प्रमाण ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ का भौंडा प्रचार है।

यदि वह स्ट्राइक सचमुच ‘सर्जिकल’ थी तो 2016 से अब तक हमारे 300 जवान क्यों मारे गए ? पिछले तीन साल में लगभग 1000 आतंकी घटनाएं कैसे हो गई ? लगभग 100 बार हमारी सीमा का उल्लंघन क्यों हो गया ? हमारी कूटनीति भी लंगड़ा रही है। हम ट्रंप और शी की खुशामद में गलीचों की तरह बिछे हुए है। अमेरिका और चीन से हम क्यों नहीं कहते कि पाकिस्तान पोषित आतंकवादी गिरोहों को वे आगे बढ़कर खत्म करने या करवाने का जिम्मा क्यों नहीं लेते ?

– डॉ. वेदप्रताप वैदिक