मोदी ‘अशफ़ाक उल्लाह खां’ को भूल गए, लेकिन अमित शाह का जन्म दिन याद रहा: अमीक़ जामई

नई दिल्ली। अखिल भारतीय संगठन न्याय की ओर से आयोजित ओखला के जामिया नगर में स्थित जोगा बाई चौपाल पर शहीद अशफाक अल्लाह खां की 119 वीं जन्मदिन मनाया गया. जिसमें अमीक़ जामई ने कहा कि प्रधानमंत्री अशफ़ाक उल्लाह खां को भूल गए, लेकिन अमित शाह का जन्मदिन याद रहा.

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न्यूज़ नेटवर्क समूह प्रदेश 18 के अनुसार इस आयोजन की अध्यक्षता संगठन के राष्ट्रीय महासचिव अय्यूब अली खान ने की। अखिल भारतीय संगठन न्याय के प्रांतीय महासचिव अमीक़ जामई ने कहा कि प्रधानमंत्री अशफाक उल्लाह खान को भूल गए और अमित शाह का जन्म दिन याद रहा, क्या यही है भारत के अच्छे दिन? उन्होंने कहा कि हमें सबको साथ लेकर चलना है। हम भगत सिंह, सुखदेव और राज गुरु की शहादत को कैसे भूल सकते हैं। हमने मिलकर देश को मुक्त कराया है और मिलकर ही फासीवादी ताकतों से देश को फिर से मुक्त कराना होगा जो देश के प्रिय संविधान और उसकी सांप्रदायिक सद्भाव के टुकड़े करना चाहते हैं।
जेएनयू के छात्र नजीब पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि मोदी सरकार की पुलिस उमर खालिद के न मिलने पर उसे पाकिस्तान पहुंचा देती है, हाफिज सईद के ट्विटर से जेएनयू आंदोलन को समर्थन दिलवा सकती है लेकिन वह नजीब को ढूंढ नहीं सकती। यूनिफॉर्म सिविल कोड पर जामई कहा कि आरएसएस और उसके समर्थक कुछ मुस्लिम देश में फिर शाह बानो जैसा माहौल पैदा करना चाहते हैं ताकि मुसलमानों की सुरक्षा, बेरोजगारी और आजीविका के सवाल पर कोई बात ही न हो। उन्होंने कहा कि यूनिफॉर्म सिविल कोड भारत में संभव ही नहीं और इसके लिए देश के बहुमत ही तैयार नहीं।
अल्पसंख्यकों की सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक कल्याण के लिए काम करने वाली राष्ट्रीय अंजुमन “अखिल भारतीय संगठन न्याय के राष्ट्रीय महासचिव श्री अय्यूब अली खान ने कहा कि देश में शहीद-ए-आज़म भगत सिंह को सभी जानते हैं लेकिन अशफाक उल्लाह खां के बारे में बहुत कम लोगों को पता है। उन्होंने कहा कि अशफाक अल्लाह खां की कुर्बानी भी कम नहीं थी। युवाओं को चाहिए कि वे अशफाक अल्लाह खां की सोच का देश बनाने के लिए उनके रास्ते पर चलें।
माकपा के दक्षिण दिल्ली के नेता कामरेड शकील अहमद सिद्दीकी ने कहा कि वर्तमान में मोदी सरकार देश की एकता और अखंडता को तोड़ने की कोशिश कर रही है। वह देश को हिन्दू राष्ट्र बनाना चाहती है जो संभव नहीं। उन्होंने कहा कि यह सरकार अपनी विफलता को छिपाने के लिए एक विशेष धर्म को टारगेट कर रही है।
इस मौके पर शहीद अशफाक उल्लाह ख़ान की याद में दो युवा उभरते हुए उर्दू कवि श्री अख्तर आजमी और अकमल बलरामपुरी ने उन पर कविताएं कहकर उन्हें श्रद्धांजलि दी।