मोदी और जेटली के बयानों में विरोधाभास: सीपीआई

नई दिल्ली: भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) ने कहा है कि पूंजी लाभ के संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री अरुण जेटली के विरोधाभासी बयानों से सरकार की आर्थिक नीतियां बुरी तरह बेनकाब हो गई है सीपीआई ने आज जारी यहाँ एक बयान में कहा कि श्री मोदी ने 24 दिसंबर को सेबी समारोह में कहा था कि शेयर बाजार में पूंजी लाभ पर भी टैक्स लगना चाहिए।

उन्होंने यह भी कहा था कि प्रतिभूति बाजार के निवेशकों से प्राप्त होने वाला बहुत कम है क्योंकि कराधान संरचना ठीक नहीं है और इससे निवेश घोटाले भी होते रहते हैं, लेकिन उसे 24 घंटे के भीतर मंत्री वित्त अरुण जेटली ने कहा कि सरकार का शेयर बाजार में लंबी अवधि कराधान का कोई इरादा नहीं है।

पार्टी का कहना है कि यह विरोधाभासी बयान भाषा फिसलने से आया है या लोगों को बेवकूफ बनाने के लिए यह बात जानबूझकर कही गई है। भाकपा ने यह भी कहा कि मोदी सरकार ने पहले ही कॉर्पोरेट टैक्स 30 से घटाकर 25 प्रतिशत कर दिया है। अब बजट से पहले एक बार फिर सरकार कॉरपोरेट घरानों और शेयरधारकों को कहीं कोई फायदा तो नहीं पहुंचना चाहती।

पार्टी ने यह भी कहा कि नोटों को रद्द करने या नए नोट छापने से आम आदमी को कोई फायदा नहीं हुआ। वेतनभोगी, मध्यम और मध्यम बकह को परेशानी हुई जबकि बड़े व्यापारियों और शेयरधारकों और बाजार चलाने वालों को फायदा हुआ। पार्टी ने सरकार से अपील की है कि वे बजट में कॉर्पोरेट टैक्स में किसी तरह का बदलाव न करे। पार्टी ने प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री से अनुरोध किया है कि दोनों सज्जनों नोटों को रद्द करने के मामले में किसी तरह का कोई बयान देने या कदम उठाने से पहले होमवर्क जरूर कर लिया करें।