करप्शन मुख़ालिफ़ अन्ना हज़ारे ने अपना एहसास ज़ाहिर किया है कि ना तो मोदी और ना राहुल गांधी वज़ीर-ए-आज़म हिंदुस्तान बनने के काबिल हैं।
वो दो हफ़्ते तवील दौरा अमेरिका पर हैं। उन्होंने वज़ीर-ए-आज़म के रास्त इंतिख़ाब की और पार्टी पर मुबनी सियासी निज़ाम की बर्ख़ास्तगी की ख़ाहिश करते हुए दावा किया कि इस निज़ाम ने ना सिर्फ़ जमहूरियत को तबाह कर दिया है बल्कि दस्तूर को भी मुअत्तल बनाकर रख दिया है।
उन्होंने कहा कि हिंदुस्तान का दस्तूर सियासी पार्टीयों को तस्लीम नहीं करता। राहुल गांधी और नरेंद्र मोदी दोनों सियासी पार्टीयों की नुमाइंदगी करते हैं। चूँकि वो सियासी पार्टीयों के नुमाइंदे हैं हम उन्हें वज़ीर-ए-आज़म बनने नहीं देंगे। 76 साला अन्ना हज़ारे मेरीलैंड यूनीवर्सिटी के हिंदुस्तानी तलबा से ख़िताब कररहे थे।
उन्होंने कहा कि हमारा यक़ीन दस्तूर हिंद पर है। सियासी पार्टीयां दस्तूर के बुनियादी जज़बा के ख़िलाफ़ काम करती हैं। ये इंतिहाई अहम है कि अब हिंदुस्तानी अवाम में शऊर बेदार किया जाय। अगर मुल्क को वज़ीर-ए-आज़म या सदर की ज़रूरत है तो पूरे मुल्क को मर्कूज़ तौर पर इन का इंतिख़ाब करना चाहिए।
मुल्क को एक अच्छा वज़ीर-ए-आज़म उसी वक़्त मिल सकता है जबकि पूरे मुल्क को इसके इंतिख़ाब का मौक़ा दिया जाय। जब तक सियासी पार्टीयों का इंतिख़ाबी निज़ाम पर ग़लबा रहेगा , मुल्क को अच्छा वज़ीर-ए-आज़म मिलने का कोई इमकान नहीं है। वो डेवलप, इम्पावर सेनर्जी इंडिया (डीसी) जो हिंदुस्तानी तलबा की एक तंज़ीम है, के ज़ेर-ए-एहतिमाम मुनाक़िदा तक़रीब से ख़िताब कररहे थे।
इसे पहले दिन में केपटोल हल पर अमेरिकी कांग्रेस के अरकान ने उनके एज़ाज़ में एक इस्तिक़बालीया तर्तीब दिया था। उन्होंने कहा कि अगर मर्कज़ी हुकूमत जारी इजलास में लोक पाल बिल पेश ना करे तो वो अगले इजलास के पहले दिन राम लीला मैदान पर एहतिजाज करेंगे।