नई दिल्ली, 29 अगस्त: बीजेपी के कुछ लीडरो की तरफ से जिंसी इस्तेहसाल के इल्ज़ाम का सामना कर रहे आसाराम बापू का बचाव करने से नरेंद्र मोदी खफा हैं। बीजेपी की कैंपेन कमिटी के चेयरमैन मोदी ने इस बारे में पार्टी सदर राजनाथ सिंह से बात की है। मोदी ने उनसे कहा कि सभी तर्जुमान और लीडरों को हिदायत दी जाए कि कोई भी आसाराम बापू का बचाव न करे।
मोदी ने इस मामले में पार्टी लीडरो के लिए लक्ष्मण रेखा भी खींच दी है कि कोई भी पार्टी लाइन से इतर बयान नहीं देगा। इस मामले पर पार्टी का स्टैंड यह है कि अभी जांच चल रही है और कानून अपना काम करेगा। मोदी ने इशारा दिया है कि किसी भी लीडर या तर्जुमान के बयान से ऐसा नहीं लगना चाहिए कि बीजेपी आसाराम बापू का साइड ले रही है।
मोदी का यह फरमान मध्य प्रदेश से पार्टी के राज्यसभा के एमपी प्रभात झा के बयान के बाद आया है। प्रभात झा ने 27 अगस्त को आसाराम पर लगे जिंसी इस्तेहसाल के इल्ज़ाम को कांग्रेस की सोची समझी साजिश करार दिया था। इससे पहले 22 अगस्त को बीजेपी की सीनियर लीडर उमा भारती ने भी आसाराम के बचाव में बयान दिया था। उमा ने ट्वीट किया था, ‘आसाराम बापू बेकसूर हैं। सोनिया और राहुल गांधी की मुखालिफत करने की वजह से उन्हें फंसाया जा रहा है। कांग्रेस की हुकूमत वाले रियासतो में उनके खिलाफ झूठे केस दर्ज कराए जा रहे हैं। हम आसाराम बापू के साथ हैं।’
यह बयान देते वक्त उमा भारती शायद नहीं जानती थीं या फिर उन्हें ध्यान नहीं रहा कि आसाराम के खिलाफ तीन बड़े मामले गुजरात में ही दर्ज हैं। अहमदाबाद में आश्रम के रेजिडेंशल स्कूल में दो नाबालिग बच्चों की पुरअसरार मौत के मामले में अप्रैल 2008 में केस दर्ज हुआ था। गुजरात की सीआईडी ने इस मामले में आश्रम के सात ओहदेदारान को मुल्ज़िम बनाया है।
इसके इलावा, दिसंबर 2009 में कत्ल करने की कोशिश का मामला भी अहमदाबाद आश्रम के खिलाफ दर्ज है। 2010 में जमीन से जुड़ा एक केस भी आसाराम बापू पर दर्ज हुआ था। आसाराम पर इल्ज़ाम था कि उन्होंने गुजरात सरकार की 67, 099 स्क्वायर मीटर जमीन पर कब्जा जमा लिया था, जिसे बाद में आज़ाद कराया गया। मोदी आम तौर पर आसाराम से दूरी ही बनाए रहते हैं ताकि गुजरात हुकूमत पर कोई सवाल न उठे। मोदी की इस बेरुखी से आसाराम भी उनसे नाराज रहते हैं।
मोदी को पार्टी की शबीह (Image) की फिक्र है और वह नहीं चाहते हैं कि पार्टी हमेशा तनाजे में रहने वाले आसाराम के साथ खड़ी दिखे। कुछ लीडरों की बयानबाजी की वजह से कांग्रेस और जेडी(यू) इस मामले में पहले ही बीजेपी को को कठघरे में खड़ा कर चुकी है। लोकसभा में अपोजिशन की लीडर सुषमा स्वराज जब संसद में मुंबई रेप केस में मुल्ज़िमों के लिए मौत की सजा की मांग कर रही थीं तो जेडी(यू) लीडर शरद यादव ने उन्हें बीच में टोका और कहा कि उन्हें आसाराम पर लगे इल्ज़ाम के बारे में भी बात करनी चाहिए। इसके बाद सुषमा स्वराज ने चुप्पी साध ली थी।
हमेशा बीजेपी पर वार करने का मौका तलाशने वाले दिग्विजय सिंह ने भी 28 अगस्त को ट्वीट करते हुए कहा, ‘ख्वातीन के खिलाफ हो रहे ज़ुर्म पर बीजेपी का किरदार सबके सामने है। औरों के लिए मौत की सजा की मांग और नकली संत (आसाराम) के लिए क्षमादान!’