बी जे पी के मुंबई में मुनाक़िदा (आयोजित) क़ौमी आमिला इजलास ( राष्ट्रीय कार्य कारिणी सभा) में ये साबित हो चुका है कि पार्टी नरेंद्र मोदी को नजर अंदाज़ करते हुए कोई भी अहम फ़ैसला नहीं कर सकती। शिवसेना सरबराह ( व्यवस्थापक) बाल ठाकरे ने ये सख़्त गीर तब्सिरा (ज़िक्र) ऐसे वक़्त किया जबकि बी जे पी और उन की शिवसेना के माबैन ( मुताबिक) रवाबित ( संबंध) काफ़ी कशीदा हैं।
बाल ठाकरे ने पार्टी के तर्जुमान ( प्रवक़्ता) सामना में ईदारिया ( सम्पादकीय / Editorial) लिखा जिस में उन्होंने कहा कि नितिन गडकरी को दूसरी मीयाद के लिए बी जे पी सदर बनाने की राह हमवार करने के मक़सद से मोदी की रजामंदी हासिल की गई।
संजय जोशी को क़ुर्बानी का बकरा बनाया गया। बाल ठाकरे ने कहा कि बी जे पी को नरेंद्र मोदी की शर्त बिलआख़िर ( आखिरकार) क़ुबूल करनी पड़ी जो उन्होंने क़ौमी आमिला इजलास ( राष्ट्रीय कार्यकारिणी सभा) में शिरकत (उपस्थित) के लिए रखी थी। चुनांचे (इसलिये) संजय जोशी को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।
उन्होंने कहा कि अब तक बी जे पी में वज़ारत-ए-उज़मा ( प्रधान मंत्री का पद) के ओहदा के लिए एक ही दावेदार सीनीयर लीडर एल के अडवानी थे लेकिन अब हालात तब्दील हो गए हैं और कई नए चेहरे इस दौड़ में शामिल हैं। मीडीया का कहना है कि इस फ़हरिस्त (List/ सूची) में अडवानी के इलावा गडकरी, नरेंद्र मोदी, सुषमा स्वराज और अरूण जेटली शामिल हैं।
बाल ठाकरे ने कहा कि हर शख़्स को अपनी शख़्सी ख़ाहिश बालाए ताक़ रखते हुए लोक सभा इंतिख़ाबात ( लोक सभा चुनाव) में कामयाबी केलिए जद्द-ओ-जहद करनी चाहीए। उन्होंने सवाल किया कि बी जे पी के सीनीयर लीडर्स जैसे अडवानी क्या पार्टी में जारी इस कशाकश को ग़ैर जांबदाराना अंदाज़ में देख रहे हैं या वो दानिस्ता तौर पर इन सारे मुआमलात ( मामलों) से दूरी इख्तेयार किए हुए हैं।
बाल ठाकरे ने कहा कि क़दीम हलीफ़ों ( पुराने दोस्तो/ मित्र गण) ममता बनर्जी, जय ललीता और नवीन पटनायक को दुबारा एन डी ए में शामिल करने की कोशिश की जानी चाहीए। बाल ठाकरे ने साबिक़ कर्नाटक चीफ़ मिनिस्टर ( पूर्व मुख्य मंत्री) बी ऐस येदि यूरप्पा को बी जे पी के अंदर इंसानी बम से ताबीर किया और कहा कि गडकरी को ये ज़हन नशीन रखना चाहीए कि इन के रास्ता में बारूदी सुरंगें बिछी हुई हैं।