मोदी के इजलास में संजीव भट्ट ने शिरकत नहीं की : एस आई टी

अहमदाबाद, 30 अप्रैल: ( पी टी आई ) सुप्रीम कोर्ट की मुक़र्रर करदा एस आई टी ने आज बताया कि दस्तयाब तमाम सुबूतों की बुनियाद पर ये कहा जा सकता है कि आई पी एस ओहदेदार संजीव भट्ट 27 फ़रवरी 2002 को मुनाक़िदा आला सतही इजलास में शरीक नहीं थे ।

उसी इजलास में वज़ीर ए आला नरेंद्र मोदी ने मुबय्यना तौर पर पुलिस को फ़सादीयों के साथ नरम रवैय्या इख्तेयार करने की हिदायत दी थी । संजीव भट्ट ने सुप्रीम कोर्ट में हलफ़नामा दाख़िल किया जिस में उन्होंने कहा था कि वो इस इजलास में मौजूद थे जिस में नरेंद्र मोदी ने मुबय्यना तौर पर पुलिस को ये हिदायत दी कि वो फ़साद मचाने वालों को अपनी ब्रहमी ( गुस्से) के इज़हार और गोधरा ट्रेन आतिशज़नी वाक़िया में मुलव्वस होने वालों को सबक़ सिखाने का मौक़ा दें ।

एस आई टी के वकील आर एस जमुवार ने मेट्रो पोलीटन मजिस्ट्रेट बी जे गनतरा की अदालत में आज ये बात बताई । उन्होंने कहा कि तहक़ीक़ाती एजेंसी ने इस इजलास के बारे में आज़ादाना तौर पर तहकीकात की है । अदालत ज़किया जाफरी की एहतिजाजी दरख़ास्त की समाअत कर रही है जिस में उन्होंने एस आई टी की क़तई रिपोर्ट को मुस्तरद करते हुए किसी आज़ादाना तहक़ीक़ाती एजेंसी के ज़रीया माबाद गोधरा फ़सादाद की अज़सर नौ तहकीकात का मुतालिबा किया है ।

वाज़िह रहे कि एस आई टी ने अपनी क़तई रिपोर्ट में नरेंद्र मोदी और दीगर 58 को क्लीन चिट दी । 2002 फ़सादाद में तकरीबन एक हज़ार अफ़राद हलाक हुए जिन में अक्सरियत मुसलमानों की थी । ज़किया जाफरी ने अपनी दरख़ास्त में संजीव भट्ट के बयान का भी ज़िक्र किया है ।

जमुवार का ये इस्तिदलाल था कि अगर संजीव भट्ट इस इजलास में शिरकत करते तो उन्हे सिनीयर ऑफीसर जी सी रायगर को रुदाद से वाक़िफ़ कराना चाहीए था जबकि रायगर ने बताया कि संजीव भट्ट ने इजलास में शिरकत के बारे में उन्हें कभी नहीं कहा ।