मोदी को इंतिख़ाबात के लिए नाअहल क़रार देने की दरख़ास्त

गुजरात फ़सादात‌ में मुसलमानों के क़तल-ए-आम के लिए सारी दुनिया में नरेंद्र मोदी और उनके हव्वारियों को ज़िम्मेदार क़रार दिया जाता है।

मुतास्सिरीन गुजरात और हक़ूक़-ए-इंसानी के जहद कारों की लाख कोशिशों के बावजूद नरेंद्र मोदी क़ानून की आँखों में धूल झोंकते रहे हैं लेकिन कांग्रेस के मक़्तूल साबिक़ रुकन पार्लीमेंट एहसान जाफरी की बेवा ज़किया जाफरी का कहना है कि मोदी क़ानून अदालतों और मुल्क की सादा लौह अवाम को धोका देने में ज़्यादा अर्सा तक कामयाब नहीं हो सकेंगे एक ना एक दिन क़ानून के लंबे हाथ उनकी गर्दन तक ज़रूर पहुंचेंगे।

ज़किया जाफरी जैसी ज़ईफ़ और मज़लूम ख़ातून ने आज मोदी की नींद हराम कर रखी हैं। वो मोदी को कैफ़र-ए-किर्दार तक पहुंचाने के लिए मुक़ामी अदालतों, हाइकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक क़ानूनी लड़ाई जारी रखी हुई और उन्हें इस लड़ाई में हक़पसंद हिंदुस्तानियों की ताईद हासिल है। उसे ही इंसाफ़ पसंद शहरियों में सुप्रीम कोर्ट की वकील मुहतरमा फ़ातिमा भी शामिल हैं जिन के ख़्याल में मोदी हिंदुस्तानी जम्हूरियत और गंगा जमुनी तहज़ीब के लिए सब से बड़ा ख़तरा है।

इस मूज़ी ख़तरा से मुल्क को बचाना बहुत ज़रूरी है। चुनांचे उन्होंने मोदी को इंतिख़ाबात के लिए नाअहल क़रार देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में मफ़ाद-ए-आम्मा के तहत एक दरख़ास्त 13 मार्च को दाख़िल की है, जिस का डायरी नंबर 8931 है। मुहतरमा फ़ातिमा ऐडवोकेट को उम्मीद है कि अदालत-ए-उज़्मा मोदी के ख़िलाफ़ दाख़िल की गई उनकी दरख़ास्त को समाअत के लिए क़बूल करेगी।

सुप्रीम कोर्ट की इस ख़ातून वकील ने जो मुल्क को फ़िर्क़ा परस्तों के हाथों तबाह होने से बचाने के लिए सरगर्म महबान वतन हिंदुस्तानियों में से एक है। सियासत से बात करते हुए बताया कि नरेंद्र मोदी फरवरी 2002 के दौरान गुजरात में पेश आए मुसलमानों के क़तल-ए-आम के मुल्ज़िम हैं उन्हें हाइकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट ने क्लीनचिट नहीं दी है बल्कि उस टीम ने उन्हें क़ानून के शिकंजा में कसने से बचाया है जिसे ख़ुद उन की ईमा पर तशकील दिया गया।

मुहतरमा फ़ातिमा ऐडवोकेट का ये भी कहना है कि मुंसिफ़ ही अगर क़ातिल हो तो इससे इंसाफ़ की क्या उम्मीद की जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट की हिदायत पर हुकूमत गुजरात ने जो ख़ुसूसी तहक़ीक़ाती टीम तशकील दी गई इसके तमाम अरकान और सरबराह का गुजरात कैडर से ताल्लुक़ था और है इस टीम के बारे में हक़ूक़-ए-इंसानी के जहद कारों और मज़लूमीन गुजरात ने वाज़िह कर दिया था कि ये टीम मोदी के इशारों पर काम करेगी और ऐसा ही हुआ मोदी को इस टीम ने गुजरात फ़सादात‌ में क्लीनचिट दे दी।

2002 में मोदी हुकूमत की सरपरस्ती में मुसलमानों का क़तल-ए-आम किया गया। इन हज़ारों करोड़ की इमलाक तबाह-ओ-बर्बाद करदी गई। ख्वातीन और लड़कियों की खेतों, सड़कों और गलियों में इजतिमाई इस्मत रेज़ि की गई। इस तरह उन भयानक नाक़ाबिल माफ़ी जराइम के ज़रिया इन दरिंदों ने क़ानून की धज्जियां उड़ाईं थीं।

उसे ही आर के राघवन, ए के मल्होत्रा, वाई सी मोदी, गुप्ता जौहरी और अशीष भाटिय पर मुश्तमिल ख़ुसूसी तहक़ीक़ाती टीम ने मोदी को क्लीनचिट देते हुए इंसाफ़ का क़तल कर दिया लेकिन इंसाफ़ पसंद हिंदुस्तानी शहरी इंसाफ़ के इन क़ातिलों और उन्हें इस क़तल पर मजबूर करने वाले को बेनकाब करके ही दम लेंगे।

मुहतरमा फ़ातिमा ऐडवोकेट ने मोदी को जो उत्तरप्रदेश के पार्लीमानी हलक़ा वाराणसी और गुजरात के वडोदरा से मुक़ाबला कररहे हैं इंतिख़ाबात में हिस्सा लेने से रोकने के लिए जहां सुप्रीम कोर्ट से रुजू हुई हैं वहीं क़ौमी इंसानी हुक़ूक़ और चीफ़ इलेक्शन कमिशनर नई दिल्ली में मोदी के ख़िलाफ़ शिकायात दर्ज करवाई हैं।

चीफ़ इलेक्शन कमिश्ननर को पेश करदा शिकायत में मुहतरमा फ़ातिमा ऐडवोकेट ने पुरज़ोर अंदाज़ में कहा कि वो अक़ल्लियती ख्वातीन की जानिब से फ़ौरी इक़दाम के लिए एक नुमाइंदगी कररही हैं।