नरेंद्र मोदी को चाहिए कि इलेक्शन कमीशन को माज़रत ख़्वाही का मकतूब रवाना करें क्योंकि उन्हें ग़लत क़दम उठाते हुए पकड़ा गया है। मर्कज़ी वज़ीर फाइनेंस पी चिदम़्बरम ने कल हिंद कांग्रेस के हेडक्वार्टर्स पर एक प्रेस कान्फ्रेंस से ख़िताब करते हुए कहा कि जब कोई ग़लत इक़दाम पर पकड़ा जाता है तो बाइज़्ज़त तरीक़ा माज़रत ख़्वाही रवाना करना ही है।
मोदी को भी कल एक ग़लत इक़दाम पर पकड़ा गया था। उन्होंने मोदी के इस बयान को मुस्तरद कर दिया कि गुजरात इंतेज़ामीया की जानिब से उनके ख़िलाफ़ एफ़ आई आर का इंदिराज सियासी साज़िश थी। चिदम़्बरम ने कहा कि उन्हें हैरत है कि बी जे पी ने दीगर पार्टीयों बिशमोल कांग्रेस के ख़िलाफ़ कितनी शिकायतें की हैं।
अगर वो सब सियासी साज़िशें थीं तो ये भी सियासी साज़िश ही है। उन्होंने कहा कि सियासी बयानात ग़लत इक़दाम की सूरत में पकड़े जा रहे हैं। मोदी ने गुज़िश्ता रात कहा था कि एफ़ आई आर उनके ख़िलाफ़ कांग्रेस की सियासी साज़िश है। इस से ज़ाहिर होता है कि कांग्रेस दहल कर रह गई है।
तिरूपति में एक इंतेख़ाबी जलसे से ख़िताब करते हुए मोदी ने कहा कि उन्होंने कोई जुर्म नहीं किया है जिसकी वजह से एफ़ आई आर दर्ज होता। इस से साफ़ ज़ाहिर होता है कि कंवल के फूल के ब्याच से जो बी जे पी का इंतेख़ाबी निशान है, कांग्रेस इतनी ख़ौफ़ज़दा है। कल उन्हों ने गांधी नगर के मर्कज़ राय दही में एक तक़रीर की थी और बी जे पी का इंतेख़ाबी निशान दिखाया था।
ये इक़दाम इंतेख़ाबी ज़ाबता अख़लाक़ की ख़िलाफ़वरज़ी था। इस तरह उन्होंने एक ज़बरदस्त तनाज़ा खड़ा कर दिया था। इलेक्शन कमीशन ने ख़िलाफ़वरज़ी का सख़्त नोट लेते हुए कार्रवाई का आग़ाज़ कर दिया। मर्कज़ी वज़ीर फाइनेंस पी चिदम़्बरम ने प्रेस कान्फ्रेंस में इल्ज़ाम आइद किया कि बी जे पी ज़ेरे इक़तेदार रियासतों गुजरात और मध्य प्रदेश में अशीया और ख़िदमात टैक्स निज़ाम पर अमल आवरी रोक दी गई है।
उन्होंने कहा कि ये सिर्फ़ हिन्दुस्तान में ही मुम्किन है जिसे दुनिया की तीसरी सब से बड़ी मईशत क़ुव्वत ख़रीद के लिहाज़ से और जारीया माल साल में जी डी पी का 6 फ़ीसद शरह तरक़्क़ी के एतबार से क़रार दिया जाता है। उन्होंने उमीद ज़ाहिर की कि माली साल 2014-15 के दौरान भी 6 फ़ीसद शरह तरक़्क़ी का निशाना हासिल करलिया जाएगा।
हालाँकि उन्होंने तस्लीम किया कि बैन-उल-अक़वामी सूरत-ए-हाल इंतेहाई मआशी बोहरान का शिकार है। चिदम़्बरम ने यू पी ए हुकूमत के 10 साला दौर-ए-इक्तदार के कारनामों की तफ़सील बयान करते हुए कहा कि 2000-2001 और 2002-2003 शरह तरक़्क़ी के एतबार से बदतरीन साल थे।
उस वक़्त के वज़ीर-ए-आज़म वाजपाई को मर्कज़ी वज़ीर फाइनेंस (यशवंत सिन्हा) तबदील करने पर मजबूर होना पड़ा था। चिदम़्बरम ने कहा कि कांग्रेस अशीया और ख़िदमात टैक्स और नया रास्त मुहासिल क़ानून मुतआरिफ़ कराने की पाबंद है। इन दोनों निज़ामों को सिर्फ़ बी जे पी ज़ेरे इक़तेदार मध्य प्रदेश और गुजरात में रोका गया, जो मसाइल हल होचुके थे, उन्हें दुबारा उठाया गया और अवामी तरक़्क़ी की राह रोकी गई।